बंटी की शर्ट बड़ी, चिंटू का पैंट छोटा

ज्ञानपुर (भदोही): बंटी के यूनीफार्म की बांह पांच इंच बड़ी तो चिंटू का पैंट छोटा। एक बांह मोड़ने में पर

By Edited By: Publish:Thu, 23 Oct 2014 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 23 Oct 2014 01:00 AM (IST)
बंटी की शर्ट बड़ी, चिंटू का पैंट छोटा

ज्ञानपुर (भदोही): बंटी के यूनीफार्म की बांह पांच इंच बड़ी तो चिंटू का पैंट छोटा। एक बांह मोड़ने में परेशान तो दूसरा पैंट पहनकार शर्मसार। बात यहीं खत्म नहीं होती सोनू को इतना लंबा शर्ट मिल गया है कि उसे पैंट की जरूरत ही नहीं। दुबली- पतली पिंकी का यूनीफार्म ऐसा कि जैसे दो पिंकी और समा जाएं, वहीं स्वस्थ व मोटी रन्नो यूनीफार्म पहनकर इस तरह कसमसा रही है कि मानों वह उससे बाहर निकलना चाह रही हो।

बच्चों का यह ड्रेस जहां बेसिक शिक्षा विभाग के शासनादेश की धज्जियां उड़ा रही वहीं सरकार की मंशा को भी हंसी का पात्र बना रही। यूनीफार्म वितरण में लगी संस्थाएं माल चोखा होने का दावा करने से पीछे नहीं हट रही हैं।

गौरतलब है कि परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में नि:शुल्क यूनीफार्म वितरण का कार्यक्रम चल रहा है। विद्यालय प्रबंध समितियों की ओर से नामित की गई तमाम संस्थाएं यूनीफार्म वितरण में लगी हैं। समाजसेवी, जनप्रतिनिधि तक स्कूलों में मुख्य अतिथि बन यूनीफार्म वितरण कर श्रेय लुटने से पीछे नहीं हट रहे लेकिन मासूम बच्चों को ड्रेस कितना पसंद आ रहा, इसकी कसमसाहट नहीं देख पा रहे।

विभागीय अधिकारी सब कुछ ठीक ठाक होने का दावा भले करे, नामित संस्थाएं भले भुगतान पाकर मस्त हो लेकिन हकीकत नकार नहीं सकते कि विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की नाप लिए ही सीधे रेडीमेड यूनीफार्म लाकर बांटा जा रहा है। शासनादेश इसकी छूट नहीं देता। प्रत्येक विद्यालयों में टेंडर अथवा कोटेशन की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद काम हासिल करने वाली संस्थाओं को प्रत्येक बच्चों का नाप करने के बाद यूनीफार्म सिलाई करके वितरित करने का निर्देश था लेकिन ऐसा कहीं नहीं दिख रहा। ड्रेस पाने के बाद भले ही बच्चे चहक रहे है पर इस तरह के यूनीफार्म में सिर्फ कमीशन खोरी की बदबू आ रही है।

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पिछले वर्ष भी हुआ था

खेल, जांच में खुली पोल

यूनीफार्म वितरण में पिछले वर्ष भी यहीं खेल हुआ था। शासनादेश से इतर वितरण में लगी संस्थाएं बगैर नाप लिए सीधे सिला सिलाया यूनीफार्म बांट दी थी। मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्रकांत पांडेय ने जांच का निर्देश दिया था। इस क्रम में यूनीफार्म की सिलाई करने वाली संस्थाओं (सिलाई की दुकानों) व जहां से कपड़ा क्रय किया गया था, उन दुकानदारों का पेन कार्ड व रजिस्ट्रेशन नंबर मांग लिया गया। गड़बड़ी का ही नतीजा रहा कि संस्थाओं का 25 फीसद भुगतान पर रोक लगा दी गई। हालांकि बाद में येन-केन प्रकारेण जांच कार्रवाई पूरी कर संस्थाओं का भुगतान को हरीझंडी दे दी गई थी।

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