Jagran Special : वसीम बरेलवी बोले- घर में बैठे चोर जैसा स्मार्ट है कोरोना वायरस Bareilly News
वह घर से ज्यादा सफर में रहे हैैं। देश तो कभी विदेश की साहित्यिक महफिलों में मसरूफ। थककर कभी रुकना चाहा तो खुद को रोक नहीं सके।
बरेली, वसीम अख्तर : वह घर से ज्यादा सफर में रहे हैैं। देश तो कभी विदेश की साहित्यिक महफिलों में मसरूफ। थककर कभी रुकना चाहा तो खुद को रोक नहीं सके। शायद इसलिए कि अगर आने के लिए कह दिया तो जाना उनकी आदत रही है। प्रोफेसर वसीम बरेलवी अब नौ दिन से घर पर ही हैैं। तमाम कार्यक्रम टल चुके हैैं। कहीं व्यक्तिगत तौर पर जाना भी था तो बुलाने वालों ने उनकी सलामती की वजह से खुद ही कह दिया, आप नहीं आएं।
याद नहीं अब से पहले कब मिलें फुर्सत के ये लम्हें
जागरण से बातचीत में वसीम साहब कहते हैैं कि याद नहीं कि फुर्सत के ये लम्हे अब से पहले कभी मिले हों। किताबें पढऩे में लगे हैैं। इंटरनेशनल जर्नल का अध्ययन करके कोरोना वायरस के खतरों से लोगों को आगाह कर रहे हैैं। कुछ नया कलाम लिखने में लगे हैैं। खुद से गुफ्तगू का मौका हाथ आया। यह मेरे लिए नहीं सभी के लिए है। हर बुराई में कुछ अच्छाई का पहलू भी रहता है।
जीवन सार्थक बनाने को जरूरी है खुद से बात करना
ऐसा ही कोरोना को लेकर दिख रहा है। जहां सोसायटी पर खतरनाक वायरस का खतरा मंडरा रहा है, वहीं उसका सकारात्मक पहलू यह भी है कि दौड़ते-भागते हांफ जाने के बाद खुद से मुखातिब होने के दिन हैैं। इंसान रनिंग मशीन बन गया था। कुदरत ने उसे ठहराव का पीरियड दिया है। लिहाजा जीवन को सार्थक बनाने के लिए खुद से बात करना बेहद जरूरी है। उसका पहला फायदा यह है कि नकारात्मक सोच से दूर होंगे।
पटना से दानापुर जाने वाली ट्रेन की भीड़ देख, कांप गई रूह
वसीम बरेलवी कहते हैैं कि परेशान हूं यह सोचकर कि हमारे देश में बहुत ज्यादा आबादी है। मिसाल के तौर पर कुतुबखाना को ही ले लें तो हजारों की भीड़ रहती है, खुदा न खास्ता कोई संक्रमित शख्स घुस आया तो बहुत नुकसान हो जाएगा। पटना से दानापुर जाने वाली ट्रेन को देख रहा था, भीड़ को देखकर रूह कांप गई। यह ऐसे पहलू हैैं, जिनसे बहुत ज्यादा एहतियात बरते जाने की जरूरत है।
सावधान रहें घर में बैठे चोर जैसा स्मार्ट है कोरोना वायरस
क्योंकि कोरोना इतना स्मार्ट वायरस है कि जल्दी उसका पता ही नहीं चलता। घर में बैठा चोर जैसा हैै। ऐसे में बहुत ज्यादा सावधान रहें। सरकार को सलाह दी कि जनता का कफ्र्यू अगले तीन रविवार को और रखा जाए। वे लोगों को जागरूक करने के लिए अपना यह शेर-आजकल के रास्तों की बेयकीनी देखकर, कौन है जिसमें सफर का हौसला रह जाएगा।