यूजीसी ने चेताया, रैंगिग के अपराधी को छोड़ा तो होगी कार्रवार्इ Bareilly News

शिक्षक विद्यार्थियों से लगातार बातचीत करते रहें। ताकि रैगिंग के शुरुआती लक्षण पकड़ में आ सकें और उस पर रोक लगे।

By Abhishek PandeyEdited By: Publish:Fri, 05 Jul 2019 08:06 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jul 2019 09:48 PM (IST)
यूजीसी ने चेताया, रैंगिग के अपराधी को छोड़ा तो होगी कार्रवार्इ Bareilly News
यूजीसी ने चेताया, रैंगिग के अपराधी को छोड़ा तो होगी कार्रवार्इ Bareilly News

बरेली, जेएनएन : रैगिंग की घटनाएं दबाकर आरोपितों का बचाव करने वाले शिक्षण संस्थानों की अब खैर नहीं होगी। नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षण संस्थानों को इससे चेता दिया है। स्पष्ट किया है कि रैगिंग रोकने में नाकाम रहने या अपराधियों के विरुद्ध उपयुक्त कार्रवाई न करने वाले संस्थान के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। यूजीसी के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने उच्च शिक्षण संस्थानों को यह पत्र जारी किया गया है।

दो पेज के नोट में प्रो. रजनीश जैन ने संस्थानों के मुखिया से कहा कि वह रैगिंग की घटनाएं रोकने के लिए कैंपस में कार्यशाला कराएं। समितियां गठित करें। हर हाल में कैंपस रैगिंग मुक्त रहना चाहिए। शिक्षक, विद्यार्थियों से लगातार बातचीत करते रहें। ताकि रैगिंग के शुरुआती लक्षण पकड़ में आ सकें और उस पर रोक लगे। हर संस्थान अपने कैंपस में रैगिंग रोधी चेतावनी की सूचना चस्पा करे। रुविवि के चीफ प्रॉक्टर प्रो. बीआर कुकरेती के मुताबिक, कैंपस में रैगिंग पर रोक के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाते हैं। इस बार भी जो निर्देश मिले हैं, उन पर अमल किया जाएगा। कोई भी विद्यार्थी रैगिंग की घटना में शामिल हुआ तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।

भेदभाव पर यूजीसी की नजर

शैक्षिक संस्थानों में पहले भी भेदभाव की घटनाएं सामने आती रही हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इन पर संज्ञान लिया है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को भेजे पत्र में स्पष्ट किया है वह कैंपस को जातिगत भेदभाव से मुक्त रखें। यूजीसी ने निर्देशित किया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के विरुद्ध उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर भेदभाव किसी भी सूरत में नहीं होना चाहिए।

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