पीलीभीत में दोहराई गई पंकज त्रिपाठी की फिल्‍म 'कागज' की कहानी, लेखपाल ने किसान को मृत दिखाकर बेटों के नाम कर दी जमीन

एक भ्रष्‍ट लेखपाल ने तीन साल पहले जीवित किसान को मृत दर्शाकर उसके बेटों के नाम जमीन की वरासत कर दी। हालांकि राजस्व निरीक्षक की जांच में जब मृत दर्शाया गया किसान गांव में मिला तो एसडीएम ने लेखपाल को निलंबित कर दिया।

By Vivek BajpaiEdited By: Publish:Tue, 28 Jun 2022 05:46 PM (IST) Updated:Tue, 28 Jun 2022 05:46 PM (IST)
पीलीभीत में दोहराई गई पंकज त्रिपाठी की फिल्‍म 'कागज' की कहानी, लेखपाल ने किसान को मृत दिखाकर बेटों के नाम कर दी जमीन
अभिनेता पंकज त्रिपाठी की फिल्‍म कागज का पोस्‍टर।

पीलीभीत, जागरण संवाददाता। पिछले साल अभिनेता पंकज त्रिपाठी की एक सच्‍ची घटना पर बनी फिल्‍म कागज रिलीज हुई थी। उस फिल्‍म में दिखाया गया था कि कैसे एक भ्रष्‍ट लेखपाल एक किसान को मृत दिखाकर उसकी जमीन दूसरे के नाम कर देता है। बाद में उस किसान को खुद को जिंदा साबित करने में 19 साल लग जाते हैं और तब उसे अपनी जमीन वापस मिलती है। कुछ ऐसा ही मामला पीलीभीत के पूरनपुर में सामने आया है। यहां भी एक भ्रष्‍ट लेखपाल ने तीन साल पहले जीवित किसान को मृत दर्शाकर उसके बेटों के नाम जमीन की वरासत कर दी। हालांकि, राजस्व निरीक्षक की जांच में जब मृत दर्शाया गया किसान गांव में मिला तो एसडीएम ने लेखपाल को निलंबित कर दिया। साथ ही तहसीलदार को पूरे मामले की जांच कर विभागीय उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

इंडो नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में तैनात लेखपाल ने भ्रष्टाचार और लापरवाही की सारी हदें पार कर दी। लेखपाल के कारनामे से राजस्व विभाग की छवि धूमिल हो गई। इस क्षेत्र के गांव वमनपुर भगीरथ निवासी किसान बूटा सिंह के नाम गांव में ही खाता संख्या 02 में जमीन अंकित है। वर्ष 2019 में यहां तैनात रहे लेखपाल योगेन्द्र देव शर्मा ने बूटा सिंह को मृत दर्शाकर उनके बेटे मंगल सिंह, मक्खन सिंह और प्रेम सिंह के नाम जमीन की वरासत कर दी। उन्‍होंने जब इस मामले की शिकायत की तो अधिकारियों ने राजस्व निरीक्षक की तरफ से जांच कराई।

स्थलीय जांच में मृत दर्शाए गए बूटा सिंह गांव में ही निवास करते मिले। राजस्व निरीक्षक की तरफ से जांच आख्या उपजिलाधिकारी राकेश कुमार गुप्ता को सौंपी गई। उपजिलाधिकारी ने मामला बेहद गंभीरता से लेते हुए लेखपाल द्वारा जीवित किसान को मृत दर्शाकर वरासत करने, विभागीय धोखाधड़ी करने, शासकीय कार्य के प्रति घोर लापरवाही बरतने और इस कार्य को भ्रष्ट आचरण का प्रतीक मानते हुए तत्काल निलंबित कर दिया। मामले की जांच के लिए तहसीलदार अशोक कुमार गुप्ता को नामित किया गया है। तीन साल बाद मामला पकड़ में आने पर राजस्व कर्मियों में खलबली मच गई है।

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