दिव्यांगों के लिए 'स्कूल की डगर' हो रही है मुश्किल

अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षा दी जानी चाहिए, लेकिन यह अधिकार पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पा रहा है।

By Amal ChowdhuryEdited By: Publish:Sun, 15 Oct 2017 03:50 PM (IST) Updated:Sun, 15 Oct 2017 03:50 PM (IST)
दिव्यांगों के लिए 'स्कूल की डगर' हो रही है मुश्किल
दिव्यांगों के लिए 'स्कूल की डगर' हो रही है मुश्किल

बरेली (पीयूष दुबे)। वो पढ़ना तो चाहते हैं, लेकिन स्कूल की व्यवस्थाएं उनका साथ नहीं देती। वो आगे बढ़ना तो चाहते हैं लेकिन, रास्ते उनका साथ नहीं देते। बावजूद इसके जो बढ़ रहे हैं और पढ़ रहे हैं तो सिर्फ अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति की वजह से। बाकी दिव्यांग बच्चे स्कूलों की मुश्किल डगर की वजह से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं और दिव्यांग होने के साथ अशिक्षित होने का कलंक जिंदगी भर ढोते हैं।

अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षा दी जानी चाहिए, लेकिन यह अधिकार पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पा रहा है। जिले के दिव्यांग बच्चों को सही मायनों में शिक्षा नहीं मिल पा रही है, क्योंकि दिव्यांग बच्चों के मुताबिक विद्यालय परिसर में सुविधाएं नहीं है।

यही वजह है कि बहुत कम दिव्यांग बच्चे विद्यालय पहुंचते हैं। जिले में दिव्यांग बच्चों की संख्या 3411 है, इनमें दिव्यांग बच्चे बहुत कम ही स्कूलों में जाते हैं क्योंकि उनके घर से स्कूल जाने वाली एप्रोच रोड सही नहीं होती है। स्कूल गेट पर मानक के अनुरूप रैंप नहीं बनी होती है, जिससे कि उनकी ट्राइ साइकिल भी उस पर नहीं चढ़ पाती है।

वहां पर बने शौचालयों में जाना उनके लिए दुरुह होता है, पानी पीने के लिए भी दूसरों का सहारा लेना पड़ता है। इन सब की वजह से दिव्यांग बच्चों के लिए स्कूल की डगर मुश्किल भरी हो गई है।

विकलांग बच्चों के मुताबिक बने स्कूल परिसर: यूनिसेफ की ओर से 'मेकिंग स्कूल एक्सीडेबल टू चिल्ड्रन विद डिसिबिलिटीज' का प्रशिक्षण लखनऊ में चार से छह सितंबर तक सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक निर्माण को दिया गया था। तब निर्देश दिए गए थे कि स्कूलों में जब भी शौचालय बनवाए जाएं तो इन्हीं बिंदुओं के मुताबिक बनें, जिससे स्कूलों में बच्चों की संख्या को बढ़ाया जा सके।

जिला के बेसिक शिक्षा अधिकारी चंदना राम इकबाल यादव कहते हैं, दिव्यांग बच्चों के लिए परिषदीय स्कूलों यथा संभव व्यवस्थाएं की गई हैं। स्कूलों में विकलांग बच्चों के लिए शौचालय बनवाने एवं विद्यालय परिसर में अन्य व्यवस्थाएं देने के लिए बजट आने का इंतजार है।

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इन बिंदुओं का ध्यान रखना जरूरी:
- सीडब्ल्यूएसएन शौचालयों का निर्माण हो।
- मानक के अनुरूप रैंप का निर्माण कराया जाए।
- रैंप का निर्माण सभी कक्षा कक्षों, शौचालयों तक हो।
- पेयजल वाले स्थान तक जाने का रास्ता हो।
- स्कूल से घर तक एप्रोच रोड सही बनी हो।

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