प्रोफेसर प्रदीप कुमार जोशी को यूपीएससी के अध्यक्ष बने

बरेली कॉलेज के वाणिज्य विभाग में शिक्षक रहे प्रोफेसर प्रदीप कुमार जोशी को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) का अध्यक्ष नियुक्ति किया गया है। उनका कार्यकाल 12 मई 2021 तक रहेगा।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Fri, 07 Aug 2020 11:51 PM (IST) Updated:Fri, 07 Aug 2020 11:51 PM (IST)
प्रोफेसर प्रदीप कुमार जोशी को यूपीएससी के अध्यक्ष बने
प्रोफेसर प्रदीप कुमार जोशी को यूपीएससी के अध्यक्ष बने

बरेली, जेएनएन। बरेली कॉलेज के वाणिज्य विभाग में शिक्षक रहे प्रोफेसर प्रदीप कुमार जोशी को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) का अध्यक्ष नियुक्ति किया गया है। उनका कार्यकाल 12 मई, 2021 तक रहेगा। प्रोफेसर जोशी इसके पहले छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग दोनों के अध्यक्ष थे। वे मई 2015 में यूपीएससी में सदस्य के रूप में शामिल हुए थे। इस पद पर उनकी नियुक्ति किए जाने पर बरेली कॉलेज के साथ ही विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने भी खुशी जाहिर की है।

मूलरूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा निवासी प्रोफेसर प्रदीप कुमार जोशी की पढ़ाई कानपुर से हुई है। बरेली कालेज के शिक्षक डा. योगेश शर्मा बताते हैं कि छात्र जीवन के दौरान आप विद्यार्थी परिषद में काफी सक्रिय रहे। 1976-77 में इमरजेंसी के दौरान जेल जाने के बाद आपने 1979 में बरेली कालेज ज्वाइन किया। 1991 में भाजपा ने नैनिताल लोकसभा सीट से उन्हें चुनाव लडऩे का ऑफर भी दिया। लेकिन वह नहीं लड़े। 1997 में रुविवि में मैनेजमेंट(एमबीए) विभाग के डीन के पद पर रहे।

इसके बाद मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में बतौर डीन सेवा दी। यहां से 2000-02 नेशनल इंस्टीट््यूट ऑफ एजुकेशन प्लाङ्क्षनग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (नेपा) के चेयरमैन रहे। इसके अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विभिन्न समितियों में भी कार्यरत रहे हैं। 2002- 2012 तक मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे। इसके बाद 2012 से 2016-17 तक छत्तीसगढ़ सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे। बाद में वह संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य बनें और आज वह इसके अध्यक्ष बनाए गए हैं।

बरेली से है गहरा नाता

डा. प्रदीप का बरेली से गहरा नाता है। यहां 22 साल सेवा के साथ ही यहां भटनागर कालोनी में आवास भी है। उनके चार भाइयों में एक भाई दीप जोशी महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में सीनियर क्लर्क के पद पर तैनात हैं। शुरुआत में वह आवास-विकास में परिवार के साथ रहते थे। परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा जो कि एलएलबी करने के बाद अब सिविल की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा बेटी की शादी हो चुकी है।

1977 में कानुपर से किया पीजी

प्रोफेसर जोशी ने वर्ष 1977 में कानुपर विश्वविद्यालय से संबद्ध डीएवी कालेज से कॉमर्स में पीजी की डिग्री ली और यहीं से 1981 में पीएचडी की। पिताजी बैंक में थे और सेवानिवृत्त होने के बाद वह सभी की पढ़ाई के लिए कानुपर आए थे।

कई देशों में कर चुके शैक्षिक सहभागिता

प्रोफेसर जोशी 28 साल से अधिक के शिक्षण अनुभव वाले एक प्रख्यात पुनर्विक्रेता और शिक्षाविद रहे हैं। उन्होंने वित्तीय प्रबंधन, वित्तीय नियंत्रण, प्रबंधकीय लेखा, कराधान, ग्रामीण विकास प्रबंधन आदि के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की। कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनारों में शोध पत्र प्रकाशित और प्रस्तुत किए हैं। एक सक्रिय शिक्षाविद् होने के नाते, उन्होंने व्याख्यान दिए हैं और बेल्जियम, हॉलैंड, इंग्लैंड, नेपाल और जापान जैसे विभिन्न देशों में शैक्षिक सहभागिता की है।

गरीब बच्चों को निश्शुल्क देते थे शिक्षा

साथी शिक्षक बताते हैं कि प्रो. जोशी की क्लाश सुबह 7.30 से होती थी। सर्दी के समय में ग्रमीण क्षेत्र से आने वाले बच्चे क्लास अटैंड नहीं कर पाते थे। ऐसे में वह गरीब बच्चों को वह अपने घर पर निश्शुल्क शिक्षा देते थे।

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