इस बार चमकेगी इनकी दीवाली, प्रदेश सरकार का यह नियम देगा राहत

प्लास्टिक और डिस्पोजल पर प्रतिबंध के निर्णय से कुम्हार परिवार काफी आशांवित हैं। उनके दिल में फिर से मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ने की आस जगी है।

By Edited By: Publish:Mon, 22 Oct 2018 10:30 AM (IST) Updated:Mon, 22 Oct 2018 10:50 AM (IST)
इस बार चमकेगी इनकी दीवाली, प्रदेश सरकार का यह नियम देगा राहत
इस बार चमकेगी इनकी दीवाली, प्रदेश सरकार का यह नियम देगा राहत
जेएनएन, बरेली : प्लास्टिक और डिस्पोजल पर प्रतिबंध के निर्णय से कुम्हार परिवार काफी आशांवित हैं। उनके दिल में फिर से मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ने की आस जगी है। उन्हें अब अपनी रोजी-रोटी के लिए करवाचौथ, दिवाली या मजदूरी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा बल्कि उनके हाथों में पूरे साल बर्तन बनाने का काम होने की संभावना है। कुम्हारों ने प्रतिबंध को पूर्ण सफल बनाने के लिए प्लास्टिक आदि की फैक्ट्रियां बंद करने के साथ ही सरकार से इलेक्ट्रॉनिक चॉक मुहैया कराने की मांग की है। शहर के बानखाना मुहल्ले में लगभग सौ से अधिक कुम्हार परिवार रहते हैं, लेकिन वर्तमान में बमुश्किल आठ से दस परिवार ही ऐसे हैं, जो कि मिट्टी के बर्तन, घड़े, करवा, दीपक आदि बना रहे हैं। यहां के त्रिलोक चंद्र प्रजापति ने बताया कि प्रतिबंध के बाद से बाजार में चरणामृत की कुलियों प्यालों व कुल्हड़ों की मांग बढ़ी है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही उनके हाथों में पूरे साल काम रहेगा। इलेक्ट्रॉनिक चॉक का आवेदन निरस्त उन्होंने कहा कि अभी उनके यहां पुराने चॉक से ही बर्तन बनाए जा रहे हैं। इलेक्ट्रानिक चॉक के लिए आवेदन किया था, लेकिन आवेदन निरस्त कर दिया गया। पूरे क्षेत्र में सिर्फ दो परिवार ऐसे हैं, जिनके पास अभी इलेक्ट्रानिक चॉक हैं। सरकार को संसाधन मुहैया कराने पर भी ध्यान देना चाहिए। तांगे से मंगानी पड़ती है मिट्टी ट्रॉली वाले मिट्टी लाने से मना कर देते हैं। मजबूरी में तांगे से मिट्टी मंगाते हैं, जो कि महंगा पड़ता है। सरकार इस तरफ भी ध्यान दें। -नरेश कुमार प्रजापति उत्पाद बनाने वालों का बढ़े मुनाफा मिट्टी की मूर्ति बनाने का काम करते हैं। त्योहारी सीजन में तो चार माह तक पूरा परिवार लगता है। तब कहीं जाकर माल बनाकर व्यापारियों को देते हैं। वीरु प्रजापति कहते हैं कि सरकार ऐसी व्यवस्था करें कि उत्पाद बनाने वाले लोगों के मुनाफे में इजाफा हो। सिर्फ दुकानदार ही लाभांवित नहीं हो। फिर हमें मजदूरी करने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा।  
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