ये क्या... पराली सड़ाने से सस्ता है एनजीटी का जुर्माना, खुशी से भर रहे किसान

धरती और आसमान के बीच धुएं का पर्दा पैदा की गुनहगार पराली मानी गई।

By Edited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 07:00 AM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 01:26 PM (IST)
ये क्या... पराली सड़ाने से सस्ता है एनजीटी का जुर्माना, खुशी से भर रहे किसान
ये क्या... पराली सड़ाने से सस्ता है एनजीटी का जुर्माना, खुशी से भर रहे किसान

शाहजहांपुर(जेएनएन)। धरती और आसमान के बीच धुएं का पर्दा पैदा की गुनहगार पराली मानी गई। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने पराली जलाने पर सख्ती की। जुर्माना तक लगा दिया, लेकिन यह सब बैरियर किसानों को पराली में आग लगाने से न रोक सके। कारण, खेत में सड़ाकर निस्तारण से कहीं सस्ता पड़ रहा है जुर्माना भरना। यही कारण है कि प्रशासन, शासन की सख्ती, सेटेलाइट तक की निगरानी के बावजूद मामले कम होने के बजाय बढ़ गए। केवल शाहजहांपुर ही नहीं, आसपास के जिलों की भी यही हकीकत है।

अगस्त से अक्टूबर तक 74 केस, दो माह में 213

पर्यावरण संरक्षण के लिए एनजीटी ने खेत में फसल अपशिष्ट जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसे प्रभावी बनाने के लिए जुर्माना भी निर्धारित किया है। अगस्त से ही इसे प्रभावी कर दिया था। प्रशासन ने 55 टीमें लगाई। सेटेलाइट से निगरानी कर अक्टूबर तक 74 मामले पकड़े। इन किसानों से 6.60 लाख जुर्माना वसूला। प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को उम्मीद थी किसान जुर्माना भरने से डरेंगे। हुआ, इसके उलट। जहां अक्टूबर के शुरुआत तक 74 केस थे, वहीं नवंबर के मध्य तक यह संख्या थमने के बजाय 213 तक पहुंच गई। इन किसानों पर 21 लाख 87 हजार का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा न करने वाले 170 के किसानों के खिलाफ रिकवरी नोटिस (आरसी) जारी कर दिया।

जुर्माना कम, खर्च व मेहनत दोगुनी

किसानों का कहना है कि दो एकड़ क्षेत्रफल के खेत में पराली जलाने पर एनजीटी का जुर्माना 2500 रुपये है। जबकि, इतने बड़े खेत में पानी लगाकर पराली सड़ाने और फिर खेत को अगली फसल के लायक बनाने में 6000 रुपये से अधिक का खर्च आएगा। खेती-बाड़ी में इतनी बचत नहीं है कि दोगुना बोझ सह सकें।

यह है जुर्माना निर्धारण दर

2500 रुपये : दो एकड़ तक 5000 रुपये : दो से पांच एकड़ तक 15,000 रुपये : पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र पर 

महंगा है पराली का यांत्रिक निस्तारण

छीतेपुर के किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि मशीन से पराली का निस्तारण कराना जुर्माना से महंगा है। बुवाई में भी विलंब हो जाता है। इस कारण किसान जुर्माना अदा करना मुफीद मानते है। 

चिंता की बात है यह

यह चिंता की बात है कि किसान खुशी से जुर्माना अदा कर रहे हैं। मशीन से पराली से निस्तारण को वे जुर्माना से महंगा मान रहे। हालांकि, किसान उपकरण खरीदने में तो रुचि ले रहे हैं। इसे और बढ़ावा देने के प्रयास करेंगे।- डॉ. प्रभाकर सिंह, उप कृषि निदेशक

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