कबहुं ना छूटी छठ मइया हमनी से बरत तोहार, हे छठि मइया सुनल ली अरजिया हमार

लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शनिवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न हुआ। पूर्व से शुरू हुआ यह पर्व पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक पहुंच चुका है। आस्था और विश्वास के इस पर्व को नाथ नगरी में भी धूम-धाम से मनाया गया।

By Sant ShuklaEdited By: Publish:Sat, 21 Nov 2020 05:12 PM (IST) Updated:Sat, 21 Nov 2020 05:12 PM (IST)
कबहुं ना छूटी छठ मइया हमनी से बरत तोहार, हे छठि मइया सुनल ली अरजिया हमार
लोगों ने अपनों के लिए छठ माता और सूरज देवता से परिवार सलामती की प्रार्थना की।

 बरेली, जेएनएन। लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शनिवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न हुआ। पूर्व से शुरू हुआ यह पर्व पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक पहुंच चुका है। आस्था और विश्वास के इस पर्व को नाथ नगरी में भी धूम-धाम से मनाया गया। चार दिन तक चलने वाले इस कठिन व्रत का समापन बहुत ही भरोसे और उम्मीद के साथ हुआ। लोगों ने अपनों के लिए छठ माता और सूरज देवता से परिवार सलामती की प्रार्थना की।

छठ महापर्व का चौथा व अंतिम दिन सबसे खास माना जाता है। तीसरे दिन अस्ताचलगामी के दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूरा परिवार रात में लगभग न के बराबर सोता है। शनिवार को अंधेरे में ही पूजा स्थल पर बनी वेदी के पास ज्यादातर व्रत करने वाली महिलाएं परिवार के साथ पहुंच गई। शहर में छठ पूजा स्थलों पर भोर में तीन बजे से ही एक बार फिर से मेला लग गया। गीत के माध्यम से भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना कर उगते सूर्य को व्रत करने वाली महिलाओं ने अर्घ्य दिया । इसके बाद 36 घंटे से रखे निर्जला व्रत का पारण किया। व्रती महिलाओं के हाथ से सिंदूर लेकर परिवार की अन्य महिलाओं ने अपनी मांग भरी। मान्यता है कि व्रती महिला से सिंदूर व हल्दी दान लेने से दुख कट जाते हैं।

हर ओर गूजें छठ मइया के गीत

शहर के रामगंगा नदी के तट पर बने मंडप, श्री शिव-पार्वती मंदिर नैनीताल रोड, श्री रामेश्वरम मंदिर, नगरिया परीक्षित स्थित नदी के किनारे व विश्वविद्यालय परिसर में बने छठ पूजा सरोवर के पास भोर में ही व्रती महिलाएं पूजा के लिए पहुंच गई। यहां ऊंजे छठ मइया, सुती ली पलंगियां, जटा देली छितराय, जटा देली छितराय, ऊंचे उनकर सेवक, जटा दिहले बटोर... केरवा जे फरेला घवंद से, ओपर सुगा मंडराय... सुगवा को मरवों धनुख से, सुगा गिरिहे मुरछाय... समेत अन्य परंपरागत छठ गीत लाउड स्पीकर में बजने के साथ ही महिलाओं द्वारा गुनगुनाए गए।

मंडप बनाकर की गई पूजा

शहर के मंदिरों में बनाए गए कृत्रिम सरोवरों, रामगंगा नदी के तट के किनारे, नगरिया परीक्षित नदी के पास व्रती महिलाओं ने केला के पत्ते का मंडप बनाकर पूजा-अर्चना की। सूर्यदेव के उदय होने की छटा से पहले ही व्रती महिलाएं पानी में उतर गई। सभी ने सूर्य भगवान की जय-जयकार कर अर्घ्य दिया। विश्वविद्यालय स्थित मंदिर परिसर में छठी महोत्सव का आयोजन करने वाले देवेंद्र राम ने बताया कि पिछली बार की अपेक्षा इस बार कम संख्या में लोग आए हैं।

इंटरनेट मीडिया पर बधाई संदेशों की बाढ़

नहाए खाए के साथ शुरू छठ पर्व की धूम इंटरनेट मीडिया पर भी रही। सभी जगह जमकर बधाई संदेशों का दौर बुधवार से शुरू होकर शनिवार को भी जारी रहा। फेसबुक, व्हाट्सएप पर लोगों ने जहां अपनी सेल्फी शेयर की। वहीं लोगों ने एक दूसरे को कमेंट में बधाई भी दी।

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