कारगिल विजय दिवस : घुटनों के बल थे दुश्मन, अस्त्र-शस्त्र कर रहे बयां Bareilly News

बरेली के जाट रेजीमेंट मुख्यालय में बना संग्रहालय आज भी 20 साल पहले हुए कारगिल युद्ध की यादों को न सिर्फ संजोए हुए हैं बल्कि उन अमर शहीदों की वीरगाथा को भी बयां कर रहा है। फोटो में देखें वीर गाथा।

By Abhishek PandeyEdited By: Publish:Wed, 24 Jul 2019 02:10 PM (IST) Updated:Wed, 24 Jul 2019 05:44 PM (IST)
कारगिल विजय दिवस : घुटनों के बल थे दुश्मन, अस्त्र-शस्त्र कर रहे बयां Bareilly News
कारगिल विजय दिवस : घुटनों के बल थे दुश्मन, अस्त्र-शस्त्र कर रहे बयां Bareilly News

बरेली, जेएनएन : 16 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर बैठे दुश्मन से मुकाबला करने के लिए जब जाट रेजीमेंट के सैनिक पहाड़ियों पर पहुंचे तो भारतीय सेना के जवानों के पराक्रम के सामने पाकिस्तानी सैनिकों ने न सिर्फ घुटने टेक दिए बल्कि पूरी तरह से समर्पण कर दिया। इस बात को पाकिस्तानी सैनिकों की वह पोशाकें और अस्त्र शस्त्र बयां कर रहे हैं, जो जाट रेजीमेंट के संग्रहालय में रखी गई हैं।

बरेली के जाट रेजीमेंट मुख्यालय में बना संग्रहालय आज भी 20 साल पहले हुए कारगिल युद्ध की यादों को न सिर्फ संजोए हुए हैं बल्कि उन अमर शहीदों की वीरगाथा को भी बयां कर रहा है, जिन्होंने देश की सरहदों की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।कारगिल युद्ध में जान की बाजी लगाकर देश की आन बान शान पर आंच न आने देने वाले भारतीय सेना के सैनिकों के पराक्रम से आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा ले सकें। इस बात को ध्यान में रखते हुए साल 2010 में जाट रेजीमेंट के मुख्यालय में संग्रहालय का निर्माण कराया गया था।


जाट रेजीमेंट सेंटर के संग्रहालय की नायक गैलरी में लगीं वीर सैनिकों की तस्वीरें । जागरण

युद्ध के नायकों की लगी हुई है तस्वीरें
संग्रहालय में रेजीमेंट के उन सैनिकों की तस्वीरे लगाई गई हैं, जिन्होंने अपने अदम्य साहस से दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। भारत मां के इन अमर सपूतों में 17वीं रेजीमेंट के कैप्टन अनुज नैय्यर भी शामिल थे, जो युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे। नैय्यर दुश्मनों पर किस तरह से भारी पड़े थे। यह इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें मरणोपरांत उनकी वीरता और बलिदान के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

7.62 एमएम मशीनगन मिली
संग्रहालय में 7.62 एमएम मशीनगन रखी हुई है। यह मशीनगन दुश्मन के सैनिकों की है। जब छह जुलाई को जाट रेजीमेंट के जवानों ने दुश्मन पर हमला किया तो करीब चार घंटे तक आमने-सामने लड़ाई चली। आमने सामने के युद्ध में भारतीय जवानों ने दुश्मन के कई सैनिकों को न सिर्फ मार गिराया बल्कि पीछे हटने के लिए भी मजबूर कर दिया। रण छोड़कर भागे दुश्मनों के सैनिक उस समय मशीनगन के साथ कुछ और उपकरण छोड़कर भाग गए थे। इस मशीनगन का इस्तेमाल दुश्मन के सैनिक संगढ की आड़ लेकर कर रहे थे। इसके साथ भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान के सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला फील्ड टेलीफोन भी मिला था। इसको भी संग्रहालय में रखा गया है।

इन पहाड़ियों को किया फतह
इसके साथ टाइगर हिल, पिंपलवन, पिंपलटू समेत उन सभी पहाड़ियों को दर्शाया गया है, जिन पर दुश्मन ने कब्जा कर लिया था और जिन्हें बाद में भारतीय सेना ने मुक्त कराया था। दीवारों पर मानचित्र के जरिए कश्मीर के उस पूरे इलाके को दर्शाया गया है, जहां पर सेना ने मोर्चा संभाला था । यहां पर आइस एक्स को भी रखा गया है, जिसे बर्फ में रास्ता बनाने के लिए पाकिस्तान सैनिक इस्तेमाल करते हैं।

संग्रहालय के बाहर जाट रेजीमेंट के उन सभी वीर सैनिकों के स्टेच्यु बनाए गए हैं, जिन्होंने किसी भी युद्ध में अपने वीरता के जौहर का प्रदर्शन किया है। संग्रहालय में दर्शाया गया है कि युद्ध में चार जाट, आठ जाट, 17 जाट, और 12वीं जाट रेजीमेंट ने हिस्सा लिया था। यहां पर हीरो गैलरी भी बनी हुई है। संग्रहालय के दूसरे हिस्से में विश्वयुद्ध के दौरान चीन और जापान के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को रखा गया है। पुराने हथियारों को भी प्रदर्शित किया गया है।

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