Jagran Special : नागरिकता मिली लेकिन दस्तावेजों में शरणार्थी Bareilly News

पाकिस्तान से आए 360 परिवार यह दर्द भूल गए लेकिन 80 साल बाद भी सरकारी रिकॉर्ड में वह रिफ्यूजी (शरणार्थी) हैं। कब तक रहेंगे यह कहा नहीं जा सकता।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Fri, 31 Jan 2020 12:04 PM (IST) Updated:Fri, 31 Jan 2020 05:55 PM (IST)
Jagran Special : नागरिकता मिली लेकिन दस्तावेजों में शरणार्थी Bareilly News
Jagran Special : नागरिकता मिली लेकिन दस्तावेजों में शरणार्थी Bareilly News

वसीम अख्तर, बरेली : सरहद के पार उनका सबकुछ था। घर, कारोबार, जमीन और खुशहाल जिंदगी का तमाम साज-सामान। अचानक हालात ऐसे बने कि रातों-रात खाली हाथ इस तरफ आना पड़ा। रास्ते में आगजनी और गोलियों की बौछार से सामना हुआ। बस गनीमत रही कि बच गए। वे पुश्तैनी रईस थे मगर हालात से समझौता कर किसी ने तांगा चलाया तो किसी ने ठेला।

पाकिस्तान से आए 360 परिवार यह दर्द भूल गए लेकिन 80 साल बाद भी सरकारी रिकॉर्ड में वह रिफ्यूजी (शरणार्थी) हैं। कब तक रहेंगे यह कहा नहीं जा सकता, क्योंकि नगर निगम और बिजली विभाग अपने रिकॉर्ड संशोधित करने के लिए तैयार नहीं हैं। हां, नागरिकता संशोधन कानून के बाद अब यह मांग जोर जरूर पकड़ रही है।

मॉडल टाउन की शक्ल में खड़ा किया ताजमहल : बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए लोगों को शहर की जिस रिफ्यूजी कॉलोनी में बसाया गया था, वह जगह मॉडल टाउन के तौर पहचानी जाती है। शहर की इस पॉश कॉलोनी का नाम लोगों की जुबान से लेकर डाक भेजने तक मॉडल टाउन ही है। उसके बावजूद बिजली विभाग और नगर निगम टैक्स के बिल रिफ्यूजी कॉलोनी के नाम से भेज रहा है। दोनों विभागों में नाम बदले जाने के लिए मांग अक्सर उठती रही है लेकिन सुनी नहीं जा रही।

जिंदगी के साथ ही जाएगा दर्द : पूर्व पार्षद तिलकराज डिसूजा, समाजसेवी अश्विनी ओबराय की मां इंद्र मोहिनी, कुलदीप प्रकाश, अमर चिक्कर आदि बताते हैं कि बंटवारे की यादें धुंधली पड़ चुकी हैं लेकिन, हर माह जब बिजली का बिल और नगर निगम का टैक्स चुकता करना होता है तो उस पर रिफ्यूजी कॉलोनी लिखा देख बहुत दर्द होता है। लगता है कि यह दर्द मौत पर ही खत्म होगा। पूर्व पार्षद तिलकराज बताते हैं कि रिफ्यूजी नाम हटवाने के लिए महापौर से लेकर अफसरों से मांग कर चुके हैं।

पाकिस्तान के इन शहरों से आकर बसे : मॉडल टाउन में रहने वाले पाक के गुजरांवाला, रावल पिंडी, कोहाट, सिंध इत्यादि से आए थे। अंबाला से देहरादून होकर बरेली पहुंचे। उसके बाद सरकार ने 360 क्वार्टर बनवाकर दिए।

पाकिस्तान में ये कर रहे थे कारोबार : पाकिस्तान में वे ड्राई फ्रूट, अस्पताल, ट्रांसपोर्ट, बाग, खेती-किसानी इत्यादि। अब यहां भी मेहनत के बूते बड़े ट्रांसपोर्टर, व्यवसाई, बिल्डर के तौर पर पहचाने जाते हैं।

बोर्ड की मुहर लगते ही बदल जाएगा नाम :  रिफ्यूजी कॉलोनी का नाम मॉडल टाउन करने के लिए महापौर डॉ. उमेश गौतम को नगर निगम बोर्ड में प्रस्ताव लाना है। बोर्ड की मुहर लगने पर रिकॉर्ड में नाम परिवर्तित हो जाएगा। इसी आधार पर बिजली विभाग भी बिलों पर रिफ्यूजी कॉलोनी के बजाय मॉडल टाउन लिखने लगेगा। महापौर का कहना है कि कॉलोनी वालों ने मांग की थी, जिस पर विचार किया जा रहा है।

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