जागरण संवाद : पहले भुगतान 8 दिन में, अब लग रहे 45 Bareilly News

ऑनलाइन शॉपिंग और बाजार में पैसों का फ्लो कम होने से खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

By Abhishek PandeyEdited By: Publish:Fri, 30 Aug 2019 08:35 AM (IST) Updated:Fri, 30 Aug 2019 08:35 AM (IST)
जागरण संवाद : पहले भुगतान 8 दिन में, अब लग रहे 45 Bareilly News
जागरण संवाद : पहले भुगतान 8 दिन में, अब लग रहे 45 Bareilly News

बरेली, जेएनएन : देश में आर्थिक मंदी से हालात बन रहे हैं। बाजार में सुस्ती सी छाई हुई है। बरेली भी इससे अछूता नहीं है। जिले के प्रमुख बाजारों में भी इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। शहर के कारोबारी और व्यापारी भी बाजार की सुस्ती से चिंतित है। उनकी भविष्य की योजनाएं थम सी गई है। ऐसे में व्यापारी वर्ग की समस्याओं को जानने के लिए दैनिक जागरण ने संवाद कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें शहर के तेल कारोबारियों व किराना व्यापारियों ने शिरकत की।

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बाजार में सुस्ती के कारण उन्हें जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उसे प्रमुखता से रखा। उनके समाधान पर मंथन किया। व्यापारियों को कहना है कि ऑनलाइन शॉपिंग और बाजार में पैसों का फ्लो कम होने से खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पहले माल का भुगतान आठ दिन में मिल जाया करता था, लेकिन अब 45 से 50 दिन तक पेमेंट नहीं मिल पा रहा है। कारण, कैश की किल्लत। वहीं, बैंकों ने भी एक जुलाई से कैश हैंडलिंग चार्ज लगाना शुरू कर दिया है। इससे व्यापारी दोहरी परेशानी झेलने को मजबूर है। सरकार को इंडस्ट्री और व्यापारियों को समर्थन करना चाहिए। सरकार की ओर से कुछ सुधार किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में बाजार फिर विकास की रफ्तार पकड़ लेगा।

बाजार में कैश की किल्लत, कई दिनों तक फंस रहा भुगतान

तेल कारोबारियों व किराना व्यापारियों ने बताया कि बाजार में सुस्ती के बीच कैश की काफी किल्लत है। हालात यह है कि जो माल तैयार करने के बाद आज बिक्री कर रहे हैं, उसका भुगतान 45 दिन बाद मिल पा रहा है। जबकि पहले 8-10 दिन में पेमेंट मिल जाया करता है। इसके अलावा माल्या, मोदी के विदेश भागने के बाद से बैंकों ने भी नियम काफी सख्त कर दिए हैं। एक जुलाई के बाद से बैंकों ने कैश हैंडलिंग चार्ज लगाना शुरू कर दिया है। जिससे समस्या हो रही है।

बरेली में जितना उत्पादन, उतना उप्र में कहीं नहीं

जागरण संवाद में तेल कारोबारियों ने बताया कि बरेली में जितना खाद्य तेल का उत्पादन होता है, उतना पूरे उत्तर प्रदेश में कही नहीं होता। हालांकि, पहले की अपेक्षा बरेली में तेल का उत्पादन काफी कम हो चुका है। एक समय में बरेली में तेल इंडस्ट्री काफी बड़ी हुआ करती थी, लेकिन वर्तमान में घटकर महज पांच फीसद रह गई है। कारण, कच्चे माल की कमी।

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लोकल ब्रांड के बजाय बाहर के माल की मांग

बरेली में तेल इंडस्ट्री क्यों दम तोड़ रही है, इस सवाल के जबाव में कारोबारियों ने बताया कि बरेली में आबादी के हिसाब अच्छा खासा उत्पादन हो रहा है, लेकिन जिले में 80 फीसद माल बाहर का बिक रहा है। लोग लोकल ब्रांड के बजाय बाहर की कंपनियों का माल ज्यादा खरीदते हैं।

नेपाल समेत अन्य देशों से आता 70 फीसद खाद्य तेल

तेल कारोबारियों के मुताबिक, तेल इंडस्ट्री के लगातार कम होने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि 70 फीसद खाद्य तेल नेपाल समेत अन्य देशों से आता है। सबसे ज्यादा नेपाल से पाम व सोयाबीन तेल की सप्लाई सीधे उत्तर प्रदेश में आती है जो यहां की अपेक्षा काफी सस्ता पड़ता है।

ऑनलाइन व मॉल कल्चर से किराना व्यापार को नुकसान

किराना व्यापारियों ने बताया कि ऑनलाइन शॉपिंग और मॉल कल्चर हावी होने से किराना व्यापार को काफी नुकसान पहुंचा है। उदाहरण देते हुए बताया कि एक बड़ी कंपनी के जिस उत्पाद पर उन्हें सात फीसद का मार्जिन मिलता है। उस पर मॉल स्थित बड़े स्टोर में 20 फीसद छूट दे दी जाती है।

बोले कारोबारी

चूंकि खाद्य तेल आम जरूरत वाली वस्तु है, इसलिए अभी बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं आया है। हां, बाजार में अन्य ब्रांड का सस्ता तेल आने से प्रतिस्पद्र्धा काफी बढ़ गई है। -प्रियांक खंडेलवाल, तेल कारोबारी

बड़े होल सेलर व उत्पादकों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन छोटे रिटेलर काफी प्रभावित हुए हैं। टैक्स से व्यापारियों की उलझन बहुत ज्यादा बढ़ा दी हैं। -संजय मोहन, किराना व्यापारी

यहां के मुकाबले नेपाल से आने वाला तेल काफी सस्ता होता है। इससे बरेली के तेल कारोबार पर काफी फर्क आ रहा है। सस्ता होने के कारण लोग उसको ही खरीदना पसंद करते हैं। - सचिन गुप्ता, खाद्य तेल एसोशिएशन बरेली

बाजार में पैसों के फ्लो कम हो गया है। इससे कारोबार पर काफी असर पड़ रहा है। बैंकों ने भी तमाम तरह के चार्ज बढ़ा दिए हैं। जिससे कारोबार में दिक्कतें आ रही है। - पवन अग्रवाल, फ्लोर मिल एवं तेल कारोबारी

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बाजार की सुस्ती की वजह से कारोबार करीब 50 फीसद तक कम हो गया है। हालांकि, आने वाले त्योहारी सीजन में सुधार की संभावना है। - ग्रिरीश अग्रवाल, फ्लोर मिल एवं तेल कारोबारी

ऑनलाइन ट्रेंड व मॉल कल्चर से छोटे दुकानदारों को काफी नुकसान हो रहा है। ऑनलाइन वेबसाइट व मॉल में बने बड़े स्टोर सामान पर भारी डिस्काउंट मिलने से ग्राहक छोटी दुकानों से दूरी बना रहे हैं। जिससे रिटेल कारोबार को काफी नुकसान पहुंच रहा है। - नमनदीप सिंह, प्रोविजनल स्टोर स्वामी

व्यापार में काफी जटिलताएं बढ़ गई है। जीएसटी लागू होने के बाद पेपर वर्क काफी बढ़ गया है। सरकार को टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है। - आशीष वैश्य, किराना व्यापारी  

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