Coronavirus Update : बरेली में कोरोना की दहशत से डरा मलेरिया, ऐसे दिख रहा असर Bareilly News
कोरोना संक्रमण की दहशत कुछ ऐसी फैली कि बुखार होने के बावजूद लोग इलाज के लिए सरकारी अस्पताल नहीं पहुंच रहे।
बरेली, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दहशत कुछ ऐसी फैली कि बुखार होने के बावजूद लोग इलाज के लिए सरकारी अस्पताल नहीं पहुंच रहे। डर का सबब यह कि कहीं कोरोना संदिग्ध केस समझकर उन्हें क्वारंटाइन न कर दिया जाए। खासकर ग्रामीण आंचल में इस बार लोग मलेरिया की जांच कराने भी कम ही पहुंचे। यही वजह रही कि इस साल मई में 1906 लोगों की स्लाइड बनीं, इनमें 232 लोग मलेरिया से ग्रसित मिले। जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1542 था। कुल 14161 लोगों ने जांच कराई थी। बीते वर्ष जनवरी से मई माह तक मलेरिया की कुल 59 हजार स्लाइड बनी थीं।
जून से अगस्त तक खतरा बरकरार
ऐसा नहीं है कि मलेरिया को लेकर इस साल कोई खतरा नहीं है। डॉक्टरों के मुताबिक जून, जुलाई और अगस्त यानी तीन महीने मच्छर जनित इस बीमारी के लिहाज से खतरनाक हैैं। मलेरिया रोगियों की तलाश के लिए जिले भर में एक्टिव सर्च केस चलाने की तैयारी है। इसके लिए करीब 60 हजार किट मंगाई जा चुकी हैं।
चार ब्लॉक में ज्यादा खतरा
जिले के भमोरा, मझगवां, फरीदपुर, रामनगर ब्लाक में मलेरिया फैलने की अधिक आशंका है। पिछले सालों का रिकॉर्ड देखें कि इन सभी इलाकों में मलेरिया तेजी से फैलता रहा है। ब्लाकों की सीएचसी में डाइग्नोस्टिक किट बांटनी शुरू कर दी हैैं।
मलेरिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी परेशान है। उनकी परेशानी की वजह लोगों द्वारा बुखार सकी जानकारी छिपाना है। लोग कोरोना के खौफ के चलते बुखार आदि आने की जानकारी नही दे रहे है। जिसके कारण मलेरिया के रोगियों की जानकारी नहीं मिल पा रही है।
आशा बहुओं और आशा संगिनी से जो रिपोर्ट मिल रही हैं वह ठीक नहीं है। उनका कहना है कि गांव के लोग कोरोना के चलते मलेरिया को मार दे रहे हैं। उन्हें जांच न कराना पड़े इसके चलते बुखार की जानकारी ही नहीं देते। - डॉ. डीआर ङ्क्षसह, जिला मलेरिया अधिकारी