बड़ों के सम्मान और साथ की सीख लेकर गए बच्चे

दैनिक जागरण के संस्कारशाला कार्यक्रम में बच्चों को बड़ों के सम्मान व साथ की सीख दी गई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 12:23 PM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 03:54 PM (IST)
बड़ों के सम्मान और साथ की सीख लेकर गए बच्चे
बड़ों के सम्मान और साथ की सीख लेकर गए बच्चे

जेएनएन, बरेली। दैनिक जागरण संस्कारशाला का बुधवार को पड़ाव इस्लामियां ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज रहा। सुबह 7.30 बजे की प्रार्थना के बाद यहां संस्कारशाला शुरू हुई, जिसके लिए दैनिक जागरण की टीम सुबह 7.10 बजे ही स्कूल में पहुंच गई थी। कुछ नया सीखने की उम्मीद के माहौल में शुरू हुए कार्यक्रम का समापन आशाजनक रहा, जिसमें छात्राओं ने इसमें मिले संस्कारों के अपने अपने अनुभव सबके साथ साझा किए।

प्रार्थना के बाद स्कूल की पि्रंसिपल चमन जहां ने संस्कारशाला टीम का परिचय छात्राओं को दिया। टीम के स्कूल में आने का उद्देश्य बताया। संस्कारशाला टीम की स्टोरी रीडर रुपाली सक्सेना ने सबसे पहले बच्चों को दैनिक जागरण में छपी कहानी पढ़कर सुनाई, जिसमें आरुषि और रिया की कहानी से बच्चों को संवेदनशीलता के बारे में बताया। फिर संवदेनशीलता के साथ ही पूरी कहानी के वास्तविक उद्देश्य को भी समझाया। छात्राओं की संस्कारशाला में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने को कहानी में छपे प्रश्न भी पूछे गए। कहानी को ध्यान से सुन और समझ रही छात्राओं में प्रश्नों का जवाब देने के लिए उत्साह नजर आया। कई मौके ऐसे रहे कि स्टोरी रीडर के सवाल पूरा पूछने से पहले ही उनके जवाब दे दिए। अंत में जब छात्राओं से अपने अपने सबक बताने को बोला गया, तो प्रार्थना मैदान में मौजूद सभी छात्राओं में सबक बताने की होड़ नजर आई। उत्साहित छात्राओं से एक एक कर उनके सबक सबको बताने को बोला, तो बडे़ विश्वास से अपने सबक सबके साथ साझा किए। बारहवीं कक्षा की महक अल्वी ने कहा कि कहानी से सीख मिलती है कि हमें अपना अधिक से अधिक समय अपने अभिभावकों के साथ परिवार के बुजुर्गो के साथ गुजराना चाहिए, जिससे अच्छी बातें सीखने का मौका मिल सके। इसके साथ ही पशु पक्षियों के प्रति भी प्रेमभाव रखना चाहिए। आगे से वह सुबह उठकर अपनी छत पर पक्षियों के लिए दाना और पानी रखेंगी। अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगी। इसके साथ ही कहानी से यह भी पहली बार पता चला कि इंसानों की तरह सरकार पशुओं के लिए भी अस्पताल चला रही हैं, जिनमें पशुओं का इलाज निश्शुल्क किया जाता है। यह जानकारी भी सभी को बताएंगी। हाईस्कूल की शिद्रा ने बताया कि स्मार्टफोन ने लोगों के काम को आसान किया है, लेकिन उन्हें अपनों से दूर कर दिया है। कहानी से हमें सीख मिलती है कि डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ काम तक सीमित होना चाहिए। इसके बाद का समय हमें अपने परिजनों के साथ बिताना चाहिए, जिससे रिश्तों में दूरी नहीं आए। इस मौके पर शाजिया इरफान, सबा अजमद, आयशा जमीर, डॉ. साइमा अजमल

--संस्कारशाला में सीख रहे बच्चे संस्कार

दैनिक जागरण संस्कारशाला का इस बार का तरीका काफी रोचक और प्रेरणादायक है। इस बार स्कूल का एक एक बच्चा और पूरा स्टाफ भी पूरी सक्रिया से शामिल हुआ। पूरे कार्यक्रम में सभी उत्साहित रहे। यह बातें इस्लामियां ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज की पि्रंसिपल चमन जहां ने बताई।

उन्होंने बताया कि पुराने तरीके में सिर्फ वही बच्चे पूरी लगन से तैयारी करते थे, जो कि संस्कारशाला को गंभीरता से लेते थे, लेकिन इस बार संस्कारशाला में कहानी सुनाकर और बच्चों से सीधा संवाद किया जा रहा है, जिससे सभी बच्चों को सीखने और समझने का बराबर मौका मिल रहा है। इसके साथ ही वह अपनी बात भी सबको बता रहे हैं, जिससे संस्कारशाला में बच्चे न सिर्फ अच्छी बातें सीख रहे हैं, बल्कि उनके व्यक्तित्व में भी निखार आ रहा है। दैनिक जागरण संस्कारशाला के द्वारा बच्चों में संस्कार देने का काम वर्षो से कर स्कूलों के काम में सहयोग कर रहा है। जागरण की यह पहल सराहनीय है।

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