बरेली की आसमा ने संघर्ष के दम पर पाई सफलता

अगर मेहनत आदत बन जाए तो सफलता मुकद्दर बन जाती है। नाम की तरह बड़ा संघर्ष करने वाली आसमा पर यह लाइन सटीक बैठती है। आसमा ने घर की जिम्मेदारियों के साथ कर्ज लेकर व्यवसाय शुरू किया और आज सफलता की ओर अग्रसर हैं। बरेली से लेकर अब उनका व्यवसाय दिल्ली और जयपुर तक फैल चुका है। पहली प्राथमिकता बैंक के कर्ज को चुकाने के साथ ही व्यापार को बुलंदियों तक पहुंचाने की है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 09:52 PM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 09:52 PM (IST)
बरेली की आसमा ने संघर्ष के दम पर पाई सफलता
बरेली की आसमा ने संघर्ष के दम पर पाई सफलता

जागरण संवाददाता, बरेली: अगर मेहनत आदत बन जाए तो सफलता मुकद्दर बन जाती है। नाम की तरह बड़ा संघर्ष करने वाली आसमा पर यह लाइन सटीक बैठती है। आसमा ने घर की जिम्मेदारियों के साथ कर्ज लेकर व्यवसाय शुरू किया और आज सफलता की ओर अग्रसर हैं। बरेली से लेकर अब उनका व्यवसाय दिल्ली और जयपुर तक फैल चुका है। पहली प्राथमिकता बैंक के कर्ज को चुकाने के साथ ही व्यापार को बुलंदियों तक पहुंचाने की है।

बरेली के वसुधरन जागीर की निवासी आसमा बी के पिता रहमत शाह का इंतकाल 2010 में हो गया था। इसके बाद किसी तरह से इंटर तक की पढ़ाई उनकी मां ने कराई। आसमा ने बहनों, एक भाई और मां की जिम्मेदारी का बोझ उठाया। सभी के साथ मिलजुलकर काम करने लगीं, जिससे कि परिवार की बसर हो सके। काफी मेहनत के बाद भी किसी तरह बसर हो रहा था तो आसमा ने 17 साल की उम्र में जरदोजी का काम करना शुरू कर दिया। पहले वह एक कारीगर के रूप में काम करती रहीं। फिर किसी ने जिला उद्योग केंद्र से प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया। प्रशिक्षण लेने के बाद चार लाख रुपये लोन लिया था। इसके बाद मैटेरियल, अड्डे, माल समेत काफी चीजें जुटानी थीं। कड़ी मेहनत करके काम शुरू किया। पहले बहुत कठिनाई हुई। हल्का-फुल्का काम चल रहा था। इसके बाद जयपुर में लहंगा और साड़ी में जरदोजी का काम किया। दिल्ली में लेडीज पर्स, जूती पर कढ़ाई के साथ अन्य ड्रेस पर भी काम कराना शुरू किया। अब दिल्ली और जयपुर में उनका काम चल रहा है। घर में अन्य भाई-बहन भी उनका हाथ बंटाते हैं। इससे उनका व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है।

जिम्मेदारियां निभाने की वजह से अब तक नहीं की शादी

घर में आसमा समेत आठ बहनें और एक भाई है। पिता के देहांत से पहले ही दो बहनों की शादी हो चुकी थी। इसके बाद परिवार की जिम्मेदारी संभाली, मकान बनाया और तीन बहनों की शादी कराई। अब बाकी दोनों बहने आसमा के साथ काम करती हैं। भाई की भी शादी कर दी है। अब वह भी काम में हाथ बंटाता है।

वर्जन

आसमा ने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है। उद्योग विभाग की प्राथमिकता है कि इस तरह के लोगों को प्रेरित करके आत्मनिर्भर बनाने का काम करे।

अर्चना पालीवाल, सहायक आयुक्त, उद्योग, बरेली

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