प्रदेश के अधिकांश जिले अनलॉक होने से बरेली रोडवेज प्रबंधन को जल्द बसे चलने की उम्मीद, बसों को सरेंडर करने की प्रक्रिया रोकी

कोरोना के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए गए कोरोना कर्फ्यू के चलते रोडवेज का लोड फैक्टर बमुश्किल 20 प्रतिशत ही शेष बचा है। दूसरे राज्यों को जाने वाली रोडवेज बसों का संचालन भी पूरी तरह से बंद है। ऐसे में बरेली रीजन को नुकसान हो रहा है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Wed, 02 Jun 2021 03:55 PM (IST) Updated:Wed, 02 Jun 2021 03:55 PM (IST)
प्रदेश के अधिकांश जिले अनलॉक होने से बरेली रोडवेज प्रबंधन को जल्द बसे चलने की उम्मीद, बसों को सरेंडर करने की प्रक्रिया रोकी
कई शहर अनलॉक होने से लोड फैक्टर में बढ़ोतरी का अंदाजा लगाया जा रहा है।

बरेली, जेएनएन। कोरोना के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए गए कोरोना कर्फ्यू के चलते रोडवेज का लोड फैक्टर बमुश्किल 20 प्रतिशत ही शेष बचा है। दूसरे राज्यों को जाने वाली रोडवेज बसों का संचालन भी पूरी तरह से बंद है। ऐसे में बरेली रीजन को प्रतिदिन 60 से 70 लाख का नुकसान हो रहा है। घाटे से बचने के लिए रोडवेज ने 50 से अधिक अनुबंधित व निगम कि बसों के परमिट सरेंडर करने के लिए आरटीओ को आवेदन भेजे थे।

लेकिन मंगलवार को अधिकांश जिले अनलॉक होने के चलते विभाग को अब लोड फैक्टर बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में केवल 39 अनुबंधित बसों के ही परमिट सरेंडर किए गए हैं।कोरोना कर्फ्यू के चलते निगम के अधिकांश रूटों पर सामान्य बसों का लोड फैक्टर 20 से 30 प्रतिशत रह गया है। जिसके चलते वातानुकुलित सेवा बंद कर दी गई है। लोड फैक्टर कम होने से परेशान रोडवेज के अधिकारियों ने टैक्स व अन्य खर्चों से बचने के लिए बसें सरेंडर करने की तैयारी की थी।

जिसके तहत आवेदन भी किया गया था। 31 मई तक कुल 39 अनुबंधित बसों के परमिट भी सरेंडर किए गए। क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी का कहना है कि कई शहर अनलॉक होने से लोड फैक्टर में बढ़ोतरी का अंदाजा लगाया जा रहा है। इसलिए निगम की बसों को अभी सरेंडर नहीं किया गया है। बताया कि सभी एआरएम को बसों को वर्कशाप में सैनिटाइज कराने के बाद ही संचालित करने के निर्देश दिए हैं।

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