Environment Protection : हम पेड़ों को जब जान जाओगे, कत्ल से कांप जाओगे

Environment Protection मैं पेड़ हूं.. आम का पेड़ हूं। मेरे 43 साथी भी हैं। इनमें कुछ मेरी तो कुछ पाकड़ और शीशम की प्रजाति के हैं। मेरी उम्र को 50 बरस से ऊपर हो गए। ना जाने कितने पक्षियों को अपनी डाल पर घरौंदे की सुविधा दी।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 08:18 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 01:55 PM (IST)
Environment Protection : हम पेड़ों को जब जान जाओगे, कत्ल से कांप जाओगे
Environment Protection : हम पेड़ों को जब जान जाओगे, कत्ल से कांप जाओगे

बरेली, जेएनएन। Environment Protection : मैं पेड़ हूं.. आम का पेड़ हूं। मेरे 43 साथी भी हैं। इनमें कुछ मेरी तो कुछ पाकड़ और शीशम की प्रजाति के हैं। मेरी उम्र को 50 बरस से ऊपर हो गए। ना जाने कितने पक्षियों को अपनी डाल पर घरौंदे की सुविधा दी। गर्मी में पसीने से भीगे लोगों को छांव के नीचे सुकून दिया। हर दिन जिंदगी के लिए जरूरी आक्सीजन दी। खुद कार्बन डाई ऑक्साइड का जहर शोषित कर हवा को जहरीला होने से बचाया। अब विकास के नाम पर हम 44 के कत्ल की तैयारी है।

पता चला है कि यहां पुल बनेगा और उससे पहले सर्विस रोड। इसके लिए हम पर आरी चलेगी। परंतु सोचो क्या यह कत्ल ठीक है। अब विकास पर्यावरण की चिंता के साथ होना चाहिए। हमारे महत्व को जानना होगा। यह हो गया तो हाथ कत्ल से कांपेंगे। हां, अब बहुत मुश्किल भी नहीं है। हमें आसानी से ट्रांसलोकेट किया जा सकता है।

यही दर्द लाल फाटक क्रासिंग से कैंट की ओर आने वाली सड़क के दोनों ओर लगे पेड़ों का है। वहां सड़क के किनारों पर 44 ऐसे पेड़ हैं, जिनके काटने की तैयारी कागजों में हो रही है। दरअसल, सेना से उस भूमि पर पुल निर्माण की अनुमति मिल गई है। अब पुल से पहले वहां दोनों ओर सर्विस रोड का निर्माण होना है। सर्विस रोड बनाने के लिए 44 पेड़ों को बाधा मानकर हटाया जाना है। इसके लिए सेतु निगम के अधिकारियों ने रक्षा संपदा अधिकारी को पत्र भेज दिया है। कैंटोन्मेंट क्षेत्र होने के कारण वहां पेड़ों को हटाने की जिम्मेदारी भी छावनी परिषद की है।

करीब ढाई सौ मीटर बननी है सर्विस रोड: कैंट क्षेत्र की ओर करीब ढाई सौ मीटर लंबा पुल बनाया जाना है। दोनों ओर इतनी ही लंबाई में सर्विस रोड बननी है, जिसकी चौड़ाई करीब साढ़े पांच मीटर होगी। बीच में करीब 2900 वर्ग मीटर भूमि पर पुल का निर्माण कराया जाना है। यहां चार पिलर पर छह छतों का निर्माण सेतु निगम करेगा। सर्विस रोड के किनारे पर नाली भी बनाई जाएगी।

पेड़ों को कराया जाए ट्रांसलोकेट

पर्यावरणविद डॉ. आलोक खरे ने बताया कि देश में तमाम तकनीकें आ गई हैं। इंदौर, मुंबई जैसे शहरों के पास पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने वाली ट्रांसलोकेशन मशीनें हैं। ट्रांसलोकेट किए जाने वाले पेड़ों में 80 फीसद से अधिक जीवित रहते हैं। यह मशीन पेड़ों को जड़ से ही उठाकर दूसरी जगह आसानी से शिफ्ट कर देती हैं। बहुत बड़े पेड़ों को उठाने के लिए पहले उनकी शाखाओं की छंटाई करके शिफ्ट किया जा सकता है। इस तरह की तकनीक शहर में भी पेड़ों को शिफ्ट करने के लिए इस्तेमाल की जानी चाहिए। इससे पेड़ों को काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

पेड़ों का हर हिस्सा अमूल्य

पर्यावरणविद डॉ. आलोक खरे कहते हैं कि पेड़ों का हर हिस्सा हमारे जीवन के लिए अमूल्य है। ऊपरी भाग हवा के शुद्धीकरण का काम करता है। इससे हमें सांसें लेने के लिए ऑक्सीजन मिलती हैं। जड़ें पानी का संचय करती है और जमीन में पानी के स्तर को बनाए रखती हैं। जहां पेड़ काटे गए हैं, वहां तेजी से भूगर्भ जल स्तर गिरता जा रहा है। ऐसे में इनको बचाया जाना चाहिए। इन्हें काटने की जगह दूसरी जगह ट्रांसलोकेट किया जाना बेहतर होगा।

एक पेड़ की कीमत 1.41 करोड़ से अधिक

पर्यावरणविद प्रो. डीके सक्सेना के अनुसार कोलकाता यूनिवर्सिटी के प्रो. टीएम दास ने 50 साल से अधिक उम्र के एक पेड़ की कीमत 1.41 करोड़ से अधिक बताई है। पेड़ से मिलने वाली सुंदरता, फल इसमें शामिल नहीं है। उन्होंने बताया है कि एक पुराना पेड़ मनुष्य के जीवन के लिए बेशकीमती है। 

साल की आयु पूरी करने वाला पेड़ हमें देता है

लाख रुपये से ज्यादा मूल्य की ऑक्सीजन

लाख रुपये का वायु प्रदूषण नियंत्रण

लाख का मिट्टी का कटान बचाना, उर्वरकता बढ़ाना

लाख रुपये का पानी को रिसाइकिल करना

लाख में पशुओं को घर प्रदान करना

लालफाटक पुल का कैंट क्षेत्र वाला हिस्सा बनाने से पहले वहां वाहनों के निकलने के लिए सर्विस रोड बनाई जानी है। इस जगह पर कई पेड़ खड़े हैं। इन्हें हटवाने के लिए रक्षा संपदा अधिकारी को पत्र भेजा गया है। - देवेंद्र सिंह, मुख्य परियोजना प्रबंधक, सेतु निगम

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