मुर्दो को उठाने की कीमत आठ सौ रुपये

जागरण संवाददाता, बरेली: शायद सिस्टम ही मर चुका है। वरना मुर्दो को उठाने की कीमत न लग रही

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 10:45 AM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 10:45 AM (IST)
मुर्दो को उठाने की कीमत आठ सौ रुपये
मुर्दो को उठाने की कीमत आठ सौ रुपये

जागरण संवाददाता, बरेली: शायद सिस्टम ही मर चुका है। वरना मुर्दो को उठाने की कीमत न लग रही होती। वो भी जिला अस्पताल में। यह कीमत अस्पताल की मोर्चरी से लाश को उठाकर ले जाने की नहीं। महज लाश को उठाकर एम्बुलेंस में रखने भर की है। एक परिवार से जब रुपये मांगे गए तो उसने चौकी इंचार्ज से शिकायत कर दी। चौकी इंचार्ज ने रुपये मांगने वाले को पकड़ लिया।

जिला अस्पताल में मंगलवार रात बिथरी के तैय्यतपुर गांव के तेजपाल की मौत हो गई थी। वह शव को बगैर पोस्टमार्टम कराए ले जाने की बात कह रहे थे। शव को बाहर निकालने और उसे सील करने के एवज में मोहम्मद राशिद ने परिजनों से आठ सौ रुपये मांगे। परिजनों ने इसकी शिकायत जिला अस्पताल चौकी इंचार्ज धर्मेन्द्र शुक्ला से कर दी। चौकी इंचार्ज ने राशिद को पकड़ लिया और कोतवाली ले आए।

राशिद से जब पूछताछ हुई तो जिला अस्पताल में लाशों के नाम पर उगाही का पूरा खेल खुल गया। राशिद ने बताया कि वह पिछले दस साल से जिला अस्पताल की मोर्चरी में काम कर रहा है। हालांकि उसका जिला अस्पताल से कोई मतलब नहीं है। पहले वह नूरमोहम्मद के साथ काम करता था। अब संविदा कर्मचारी राजेंद्र आ गया है तो उसके साथ काम करता है। बकौल राशिद राजेंद्र उससे व एक अन्य युवक राजा से लाशों को उठाने के एवज में 800 रुपये वसूलता है।

लाश सील करने के लेते हैं रुपये

राशिद ने बताया कि पहले लाशों को रिक्शे पर रखकर पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाया जाता था। लेकिन अब लाशें एंबुलेंस में जाती हैं। उन्हें मोर्चरी से लाश बाहर निकालनी होती है। दारोगा के सामने उसके कपड़े उतारकर पंचनामा भरवाना पड़ता है। इसके बाद शव को सील कर देते हैं। महज इतने काम के सात-आठ सौ रुपये वसूले जाते हैं। संविदा कर्मचारी राजेंद्र करा रहा वसूली

पुलिस हिरासत में राशिद ने बताया कि वसूली संविदा कर्मचारी राजेंद्र करा रहा है। निश्चित ही वह ऊपर भी रुपये देता होगा। राशिद ने बताया कि सुबह से तीन शव पोस्टमार्टम को भेजे हैं। उनसे 1900 रुपये लिए गए। जबकि उसे राजेंद्र ने महज 20 रुपये दिए हैं। कौन उठाएगा लाश इसलिए छोड़ा

राशिद के पकड़े जाने के बाद तमाम सिपाही उसके पक्ष में आ गए। सिपाहियों का कहना था कि यह सड़ी गली लाशों को उठाता है। अगर इसे जेल भेज दिया गया तो फिर लाशें कौन उठाएगा। पुलिस के सामने लाशों को उठाने की बड़ी समस्या सामने आ जाएगी। इसलिए शाम को मोहम्मद राशिद को कोतवाली से छोड़ दिया गया। - लाश उठाने के नाम पर वसूली करना गंभीर मामला है। अगर आरोपित को पकड़ लिया गया था तो फिर छोड़ा क्यों गया। इसकी जांच करवाई जाएगी। - अभिनंदन सिंह, एसपी सिटी

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