वाह रे! सिस्टम : जब नहीं बचा पा रहें बुखार से जान.. तो याद आ रहे भगवान

प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने के लिए रुहेलखंड में 400 से ज्यादा मौतों को आपदा के मत्थे मढ़ने की तैयारी में जुट गया है। बरेली प्रशासन ने दावं खेल दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 Sep 2018 01:45 PM (IST) Updated:Mon, 17 Sep 2018 01:45 PM (IST)
वाह रे! सिस्टम : जब नहीं बचा पा रहें बुखार से जान.. तो याद आ रहे भगवान
वाह रे! सिस्टम : जब नहीं बचा पा रहें बुखार से जान.. तो याद आ रहे भगवान

बरेली(जेएनएन)। वाह रे! सिस्टम.. कमाल है..। कहने को, आम आदमी के लिए हर छोटे से लेकर बड़े कामों के लिए हुक्मरानों व अधिकारियों की लंबी चौड़ी फौज है। मगर जब भी कोई मौका सिस्टम के कुछ कर गुजरने का आता है.. तो आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेने बजाय हर बार अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरे के सिर फोड़ दिया जाता है। मगर इस बार तो हद ही हो गई..। रुहेलखंड में अगिनत मौतों और पल-पल दम तोड़ते लोगों का कसूरवार भगवान को ठहराने से भी गुरेज नहीं किया। खतरनाक फाल्सीपेरम पर नकेल नहीं लगा पाने पर हालात को आपदा जैसा बताना शुरू कर दिया। आधिकारिक घोषणा भले ही अभी नहीं हुई हो.. लेकिन, दैवीय आपदा कोष का मुंह खोल दिया गया है। फाल्सीपेरम के संक्रमण से प्रभावित गांव में प्रधानों से 5000 रुपये खर्च कर स्थिति से निपटने में जुटने को कहा है।

--बरेली प्रशासन ने खेला आपदा का दावं

रुहेलखंड में सबसे ज्यादा हालत बदायूं और फिर बरेली के खराब हैं। सबसे ज्यादा मौतें यहीं हुई हैं। यही कारण है, फिलहाल बरेली के प्रशासन ने बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के बजाय आपदा का दांव भी खेल दिया। स्थिति संभलती न देख रविवार को डीएम, सीडीओ, एसडीएम व तीन एडीएम ने छह ब्लॉकों के प्रधानों को साथ बैठाया।

--पहले सोते रहे, अब याद आया फंड

एक्सपर्ट बता चुके हैं कि बीमारी के यह हालात गंदगी से पनपे हैं। इसलिए गांव में सफाई के उचित इंतजाम किए जाएं। आशा, प्रधान के ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति और एएनएम व प्रधान के अन्टाइड फंड से 1000-1000 रुपये का इस्तेमाल किया जाएगा। आपदा के समय ग्राम निधि के खाते से 5000 रुपये निकालकर संक्रमण की चपेट में आए प्रभावित गांवों के ग्रामीणों की जान बचाने में मदद करें। हालांकि, प्रशासन गांव में साफ सफाई के जिस फंड पर अब जोर दे रहा है, यह सालाना आता है। गांव में सफाई पर खर्च करने के बजाय यह फंड बंदरबांट होता रहा है।

--यह करने होंगे इंतजाम

फंड से प्रधानों को मच्छरों का प्रजनन रोकने, गांवों से जांच नमूना लेने के लिए परिवहन की व्यवस्था करने, डिसइंफेक्टेंट व ब्लीचिंग पाउडर क्रय करने, रोगियों को हायर सेंटर भेजने की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही फॉगिंग मशीन व दो स्प्रे मशीन खरीदने होंगे। कीटनाशकों का छिड़काव कर मच्छरों को मारना होगा। गांवों में साफ-सफाई करानी होगी।

--बरेली और बदायूं के दर्जनों गांवों में फैला संक्रमण

बरेली और बदायूं के दर्जनों गांवों में संक्रमण फैला हुआ है। यही कारण है कि मंडल में 400 लोग मारे जा चुके हैं अभी तक। यह प्रकोप थमने के बजाए लगातार बढ़ रहा है। बदायूं में भी प्रधानों को जुटाकर हालात से निपटने की कोशिश करने की तैयारी है।

--बीमारी की पहचान के साथ किया जा रहा उपचार

कमिश्नर रणवीर सिंह का कहना है कि मलेरिया का जो आउटब्रेक हुआ है। यह समस्या नई नहीं है। यह विश्व की समस्या है। पहले भी केस आते थे, लेकिन उनकी पहचान नहीं हो पाती थी। अब बीमारी की पहचान के साथ ही उपचार भी किया जा रहा है। इसके नियंत्रण के लिए संसाधनों की कमी नहीं है। मैनपॉवर भी पर्याप्त है। यह दैवीय आपदा नहीं है।

chat bot
आपका साथी