खुली हवा में पढ़ सकेगा 'कैदी बचपन'

वली मुहम्मद, बरेली बचपन, एक कोरा कागज है, उस पर जो चाहे लिख दो। लेकिन जब यह बचपन शिक्षा और सही परव

By Edited By: Publish:Sat, 04 Jul 2015 01:01 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2015 01:01 AM (IST)
खुली हवा में पढ़ सकेगा 'कैदी बचपन'

वली मुहम्मद, बरेली

बचपन, एक कोरा कागज है, उस पर जो चाहे लिख दो। लेकिन जब यह बचपन शिक्षा और सही परवरिश के अभाव में बीतता है तो जीवन भटकाव की स्थिति आ जाती है। कई जुर्म की दलदल में फंस जाते हैं तो सैकड़ों का बचपन सड़क किनारे दम तोड़ जाता है।

हम बात कर रहे हैं सलाखों के पीछे के बचपन की। वहां पर बच्चे पढ़ाई और जीवन के तमाम अच्छे हुनर सीखने से वंचित रह जाते थे। लेकिन अब ऐसे बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए बाल कल्याण समिति के माध्यम से शासन ने पहल की है। बाल सुधार गृह और नारी निकेतन में 18 साल से कम आयु वाले बच्चों को शिक्षित किया जाएगा। वह आम बच्चों की तरह स्कूलों में पढ़ेगें। लड़कों को समाज कल्याण विभाग से संचालित और लड़कियों को बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित कस्तूरबा स्कूलों में भेजा जाएगा। पढ़ाई के साथ आम बच्चों की तरह वह स्कूलों में खेल कूद सकेंगे। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने भी तैयारी कर ली है। इसी सत्र से बच्चों को भेजा जाना शुरू कर दिया जाएगा।

अब तक कैद में होती थी पढ़ाई

नारी निकेतन और बाल सुधार गृह के बच्चों को वहीं पढ़ाया जाता था। विभाग वहां शिक्षक भेजता था। यह पहली बार होगा जब कैद में रहने वाले इन बच्चों को खुली हवा में आम बच्चों की तरह पढ़ने को मिलेगा। इतना ही नहीं लावारिश बच्चों को भी इन स्कूलों में भेजा जाएगा। ताकि उनको शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके।

- नारी निकेतन और बाल सुधार ग्रह के बच्चों को स्कूलों में भेजने का शासन का आदेश है। जिला प्रशासन और बेसिक शिक्षा विभाग से भी इस बाबत मीटिंग की गई है। जल्द ही इसको अमलीजामा पहनाया जाएगा।

- शीला सिंह, अध्यक्ष बाल कल्याण समित

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