ख्वाब ही रह गया मिनी सचिवालय

बाराबंकी : गांव में लाखों की लागत से बने मिनी सचिवालय शोपीस बने हैं। इसका न कभी ताला खुलता है और न क

By Edited By: Publish:Thu, 23 Oct 2014 09:56 PM (IST) Updated:Thu, 23 Oct 2014 09:56 PM (IST)
ख्वाब ही रह गया मिनी सचिवालय

बाराबंकी : गांव में लाखों की लागत से बने मिनी सचिवालय शोपीस बने हैं। इसका न कभी ताला खुलता है और न कभी यहां कोई बैठक होती है। कुछ स्थानों पर ग्रामीणों ने इसे अपना आशियाना बना डाला है।

उदारण के तौर पर विकास खंड बनीकोडर की ग्राम पंचायत गजपतीपुर में निíमत मिनी सचिवालय को ही ले ली जाए। आज से करीब साढ़े तीन वर्ष पूर्व लाखों की लागत से इसका निर्माण करवाया गया था। बनने को बाद इसे ग्राम पंचायत को हैंडओवर भी कर दिया गया था। उसके बाद इस भवन में ताला भी बंद हो गया। जो आज भी बंद है। इस मिनी सचिवालय का इतनी अवध बीतने के बाद भी आज तक ताला भी नहीं खोला गया न तो यहां कभी ग्राम पंचायत की खुली बैठक कराई गई। ऐसे में लाखों की लागत से बना यह सचिवालय शोपीस साबित हो रहा है।

ग्रामीणों का कहना है कि समय समय पर आने वाली योजनाओ के संबंध में खुली बैठको का आयोजन किया जाता है लेकिन बैठकों की मात्र कागजी खानापूíत की जाती है। असल में कोई खुली बैठक नहीं होती है। जिससे योजनाओं का लाभ पात्रों के बजाय अपात्रों को मिल रहा है। सचिवालय का निर्माण इसी उद्देश्य के तहत करवाया गया था लेकिन इसमें तालाबंदी के चलते यह उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा। ग्रामीणों का कहना है अभी हाल में हुई समाजवादी पेंशन योजना के बारे में फार्म तो भरे गए थे लेकिन पात्र अपात्रों की खुली बैठक न करा कर ब्लॉक से मनचाही सूची बना कर भेज दी गई। ग्रामीणों का कहना है कि चार वर्षों से पंचायत में कोई खुली बैठक नहीं हुई है।

इस संबंध में सीडीओ ऋषिरेंद्र कुमार का कहना है मामला संज्ञान में नहीं है। शिकायत मिलने पर जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

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