दफ्तरों में टिफिन सप्लाई करने वाली नमिता बनीं कैंटीन मालिक

मूल रूप से उन्नाव के रहने वाली नमिता अग्रवाल के सिर से पिता का साया महज चार साल की उम्र में ही हट गया था। मां और चाचा-चाची की परवरिश में पढ़ी नमिता का जीवन संघर्षाें की कहानी है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 07 Mar 2021 11:43 PM (IST) Updated:Sun, 07 Mar 2021 11:43 PM (IST)
दफ्तरों में टिफिन सप्लाई करने वाली नमिता बनीं कैंटीन मालिक
दफ्तरों में टिफिन सप्लाई करने वाली नमिता बनीं कैंटीन मालिक

दीपक मिश्रा, बाराबंकी

हालातों से लड़कर आत्मनिर्भरता की मंजिल हासिल करना नमिता के लिए बड़ी चुनौती थी। संकल्प लिया और मजबूत हौसले से न सिर्फ हासिल किया बल्कि दूसरों की आजीविका संचालन में भी मददगार बनीं। दफ्तरों में टिफिन सप्लाई कर आजीविका चलाने वाली नमिता अब एक कैंटीन की मालिक होने के साथ कई ही 30 महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।

मुश्किलों से नहीं मानी हार : मूल रूप से उन्नाव के रहने वाली नमिता अग्रवाल के सिर से पिता का साया महज चार साल की उम्र में ही हट गया था। मां और चाचा-चाची की परवरिश में पढ़ी नमिता का जीवन संघर्षाें की कहानी है। वर्ष 1985 में बाराबंकी के आजादनगर के मुनींद्र मोहन के साथ हुई। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण रोजगार की तलाश में चंडीगढ़ गईं और वहां पर सिटी पार्टी चलवाई। सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद टिफिन में खाना पैककर सप्लाई करने का प्रशिक्षण लेकर 2002 में बाराबंकी वापस आ गईं। नमिता अग्रवाल ने 2002 में हावी कोर्स की शुरुआत की। इसमें बालिकाओं को सिलाई, कढ़ाई, पेंटिग का कार्य सिखाने लगीं। प्रशिक्षण के साथ ही घर में ही खाना बनाकर आफिस और प्रतिष्ठानों में 50 रुपये प्रति टिफिन सप्लाई करने लगीं। देखते ही देखते 70 से 80 टिफिन प्रतिदिन सप्लाई होने लगे। सफलता से उत्साहित नमिता ने वर्ष 2009 में अचार बनाने का काम शुरू किया। पति लुधियाना में कपड़ा उद्योग मिल में काम करते हैं। दोनों बेटियों को पढ़ा-लिखाकर शादी कर दी। एक बेटी डा. पल्लवी अग्रवाल वनस्पति विज्ञान विभाग लखनऊ में चिकित्सक है। दूसरी बेटी छवि अग्रवाल दिल्ली में ब्यूटीशियन है।

लॉकडाउन की चुनौतियों को दी मात :

लॉकडाउन में टिफिन सप्लाई, बालिकाओं का प्रशिक्षण, आचार बनाने का कार्य सब ठप हो गया। मुसीबत की इस घड़ी में नमिता ने हौसला नहीं छोड़ा और लॉकडाउन के बाद फिर उन्हीं कार्यों को धार दिया। अब वह हिद अस्पताल में एक कैंटीन की मालिक हैं। वह विकास भवन में भी स्वयं सहायता समूह शहरी के तहत कैंटीन खोलने की तैयारी में हैं। उपलब्धियां :

-2008 में राज्यपाल ने सर्वश्रेठ ब्रेकरी अवार्ड से सम्मानित किया।

-2013 में फिर से राज्यपाल ने अचार बनाने का सर्वश्रेठ अवार्ड से नवाजा।

-दो दर्जन से अधिक अन्य स्वयं सेवी संस्थाओं से पुरस्कार हासिल किया।

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