घाघरा में कट रहा कुर्मिन टेपरा व भंवरीकोल गांव

घाघरा नदी का जलस्तर तो खतरे के निशान 106.076 से आधा मीटर नीचे पहुंच गया है। इससे बाढ़ का खतरा कम हुआ है पर कटान तेज हो गई। तटवर्ती गांवों की जमीन नदी में कटकर बह रही है। अपने घर व खेतों को बचाने में नाकाम ग्रामीण परेशान हैं। सिरौलीगौसपुर क्षेत्र के कुर्मिन टेपरा व भंवर कोल गांव में नदी की कटान काफी तेज रही। कुर्मिन टेपरा के रामराज सुमेरी रक्षाराम रामावती आदि 20 परिवार गांव छोड़ तटबंध पर पलायन को विवश हुए। अपने ही हाथों से बनाए गए घरों को उजाड़ने का दर्द उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था। भंवर कोल गांव में नदी में कट रहे खेतों में लगी गन्ना की फसल बचाने की जद्दोजहद देखने को मिली। गन्ने की फसल ग्रामीण तेजी से काट रहे ताकि उसे चारे के रूप में पशुओं को खिला सकें क्योंकि बाढ़ के चलते हरा चारा भी नहीं बचा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Aug 2019 11:56 PM (IST) Updated:Mon, 26 Aug 2019 06:26 AM (IST)
घाघरा में कट रहा कुर्मिन टेपरा व भंवरीकोल गांव
घाघरा में कट रहा कुर्मिन टेपरा व भंवरीकोल गांव

बाराबंकी : घाघरा नदी का जलस्तर तो खतरे के निशान 106.076 से आधा मीटर नीचे पहुंच गया है। इससे बाढ़ का खतरा कम हुआ है, पर कटान तेज हो गई। तटवर्ती गांवों की जमीन नदी में कटकर बह रही है। अपने घर व खेतों को बचाने में नाकाम ग्रामीण परेशान हैं। सिरौलीगौसपुर क्षेत्र के कुर्मिन टेपरा, व भंवर कोल गांव में नदी की कटान काफी तेज रही। कुर्मिन टेपरा के रामराज, सुमेरी, रक्षाराम, रामावती आदि 20 परिवार गांव छोड़ तटबंध पर पलायन को विवश हुए। अपने ही हाथों से बनाए गए घरों को उजाड़ने का दर्द उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था। भंवर कोल गांव में नदी में कट रहे खेतों में लगी गन्ना की फसल बचाने की जद्दोजहद देखने को मिली। गन्ने की फसल ग्रामीण तेजी से काट रहे ताकि उसे चारे के रूप में पशुओं को खिला सकें क्योंकि बाढ़ के चलते हरा चारा भी नहीं बचा है। सुरजनपुरवा गांव में कटान के डर से लोग नदी के किनारे लगे यूकेलिप्टस व बबूल के पेड़ों को काटते दिखे।

रामनगर क्षेत्र के कोरिनपुरवा व जैन पुरवा गांव तथा कचनापुर में भी कटान हो रही है। कटान को रोकने की दिशा में प्रशासन की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा।

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