मनरेगा से भंग हो रहा मजदूरों को मोह
संवाद सहयोगी,बबेरू : गांव से पलायन दूर करने को सरकार द्वारा चलाई जा रही मनरेगा योजना धरातल पर
संवाद सहयोगी,बबेरू : गांव से पलायन दूर करने को सरकार द्वारा चलाई जा रही मनरेगा योजना धरातल पर विफल साबित हो रही है। कहने को सरकार इस योजना के तहत ग्रामीणों को सौ दिन का रोजगार उपलब्ध करा रही है। मगर ग्रामीणों का इस योजना से मोह भंग होता जा रहा है। छह माह की योजनाओं पर नजर डालें तो मात्र आठ हजार मजदूरों ने ही काम मांगा। जबकि ब्लाक में करीब 60 हजार मजदूर पंजीकृत हैं।
गांव मे मनरेगा योजना के तहत बंधी निर्माण, किसानों की ¨सचाई के लिए नाली निर्माण, खेत मार्ग, पक्के कार्य का खड़ंजा निर्माण, इंटर लॉकिंग, मेड़बंदी आदि कार्य ग्राम पंचायतों में चल रहे हैं। बबेरू ब्लाक के 61 ग्राम पंचायतों में कुल 59461 मजदूर पंजीकृत हैं। जिसमें 8330 मजदूर ही काम कर रहे हैं। लगभग 50 हजार से अधिक मजदूर काम करने को तैयार ही नहीं। मजदूर की कमी के कारण जहां एक ओर विकास कार्य बाधित हो रहे हैं वहीं गांव से पलायन तेजी से बढ़ रहा है।
------------------------
कम मजदूरी के कारण लोग नहीं ले रहे काम
जानकारों की मानें तो मनरेगा में सरकार द्वारा मिलने वाली मजदूरी मात्र 175 रुपये है। जबकि लोगों को शहर या कस्बे में ही 300 रुपये से लेकर 350 रुपये तक मजदूरी पर काम आसानी से उपलब्ध हो रहा है। यही वजह है लोगों को मोह मनरेगा से भंग होता जा रहा है।
-----------------------
क्या कहते हैं अधिकारी
खंड विकास अधिकारी बृजकिशोर कुशवाहा कहते हैं कि गांवों मे खूब काम है लेकिन मजदूर काम करने को तैयार नही है पंजीकृत मजदूरों में मात्र 10 प्रतिशत ही लोग काम कर रहे हैं। मजदूर न मिलने से काम भी गांवों में बाधित हो रहे हैं।
बृज किशोर कुशवाहा, खंड विकास अधिकारी।