व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रही टूटी चरही, प्यास से व्याकुल हो रहे मवेशी

संवाद सहयोगी बबेरू खेतों से फसल कटने और गोशालाओं में चारे की व्यवस्था न होने पर अन्न

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 04:39 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 04:39 PM (IST)
व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रही टूटी चरही, प्यास से व्याकुल हो रहे मवेशी
व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रही टूटी चरही, प्यास से व्याकुल हो रहे मवेशी

संवाद सहयोगी, बबेरू : खेतों से फसल कटने और गोशालाओं में चारे की व्यवस्था न होने पर अन्ना मवेशियों को छोड़ दिया गया। लेकिन भीषण गर्मी में ये मवेशी भोजन और पानी के लिए कहा जाएंगे इस ओर किसी भी जिम्मेदार ने ध्यान नहीं दिया। हालाकि पूर्व में इसको लेकर व्यवस्थाएं की गई थी लेकिन अनदेखी के चलते सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई। अब अन्ना मवेशी भोजन और प्यास से व्याकुल होकर दर-दर भटक रहे हैं।

शासन ने बेजुबान जानवरों को भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए तहसील क्षेत्र के ग्राम रयान, शिव, अलिहा, मर्का सहित नगर के कृषि उत्पादन मंडी समिति में पानी की चरही का निर्माण कराया था। गर्मी आते ही उनको भरने के लिए बकायदा पानी का इंतजाम होता था। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते इन चरहियों की हालत बद से बदतर हो गए हैं। इनमें से ज्यादातर तो क्षतिग्रस्त हो गई हैं। जो कुछ सही हालत में हैं भी वहां पानी को कोई इंतजाम नहीं। गर्मी के विकराल रूप धारण करने के साथ ही जलस्त्रोत सूखने लगे हैं। तालाबों में पानी खत्म हो गया है। ऐसे में अन्ना मवेशियों को भूख तो दूर प्यास बुझाना भी मुश्किल हो रहा है।

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माइनर व नहरें भी सूखीं

जानवरों की प्यास बुझाने के लिए गर्मी के दिनों में नहर में एक सप्ताह के लिए पानी छोड़ा जाता था। जिससे नहर के माइनर व रजबहों में पानी दूर- दूर तक पहुंच जाता था, लेकिन क्षेत्र के सरोवर व नहर सूखी पड़ी हैं। जानवर भटकते हुए बिना पानी पीए बेबस लौट जाते हैं।

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- जल्द ही मवेशियों के लिए पानी का इंतजाम किया जाएगा। संबंधित कर्मचारियों को स्थिति देखने को कहा गया है।

-डॉ.प्रभात कुमार द्विवेदी, खंड विकास अधिकारी बबेरू

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कालिजर में नहीं दूर हो रहा पेयजल संकट, हैंडपंपों में लगी भीड़

संवाद सूत्र कालिजर : ऐतिहासिक पौराणिक नगर कालिजर में 17 दिन बाद भी पेयजल संकट दूर नहीं हो सका। हैंडपंपों में भारी भीड़ रहती है। दोपहर में तेज धूप के बाद भी ग्रामीण कतारों में लगे देखे जा सकते हैं। अधिकारी बेपरवाह बने हैं।

सांसद आदर्श ग्राम रह चुका कालिजर कस्बा आज भी पेयजल समस्या से ग्रस्ति है। इस समस्या का समाधान दस वर्ष बाद भी अधिकारी, जनप्रतिनिधि नहीं कर सके। गांव के हैंडपंपों में सुबह से कतार लग जाती है। तेज धूप में भी लाइन में लोग पानी के लिए खड़े देखे जाते हैं। कस्बेवासी बूंद-बूंद पानी के लिए भारी मशक्कत कर रहे हैं। दूर से ढोकर पानी घर तक ले जाते हैं। विभागीय अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जल संस्थान के कर्मचारियों का कहना है कि अभी ट्यूबवेल की मोटर खराब है। इसको ट्यूबवेल से निकाला गया है। जिससे बनने को भेज दी गई है। इस संबंध में जल संस्थान के जेई ने बताया कि मोटर जल गई है। लॉकडाउन के चलते दुकान नहीं खुल रही है। इस लिए समस्या आ रही है।

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