कागजों पर काम कर रहे साथिया, भटक रहे किशोर-किशोरियां

किससे कहें मन की बात जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Feb 2021 10:35 PM (IST) Updated:Mon, 15 Feb 2021 10:35 PM (IST)
कागजों पर काम कर रहे साथिया, भटक रहे किशोर-किशोरियां
कागजों पर काम कर रहे साथिया, भटक रहे किशोर-किशोरियां

बलरामपुर : जिले में किशोरों को किशोरावस्था में जागरूकता एवं समझ बढ़ाने के लिए गांव-गांव पीयर एजूकेटर (साथिया) बनाए जाने थे जो किशोर-किशोरियों से दोस्ती कर उन्हें बेहतर पोषण, यौन एवं प्रजनन, नशा मुक्ति, गैर संचारी रोगों के बारे में जागरूक करते। युवाओं में जागरूकता लाने का यह सपना लापरवाही की भेंट चढ़ गया।

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 7166 साथिया का चयन होना था। अब तक सभी स्थानों पर चयन नहीं हो पाया। बचपन से जवानी की दहलीज पर पैर रखने वाले किशोर-किशोरियों को साथिया कागज में ही जागरूकता का ककहरा सिखा रहे हैं। यही नहीं प्रोत्साहित करने के लिए इन्हें छाता, घड़ी समेत अन्य जो सामग्री दी जानी थी वह स्टोर में डंप पड़ी है। यही हाल जिला संयुक्त अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों का भी है जहां अपनी समस्याओं को बताने के लिए किशोर-किशोरियों को भटकना पड़ रहा है।

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक अमरेंद्र मिश्र ने बताया कि 7166 से पीयर एजूकेटर का चयन होना था, लेकिन पांच हजार का ही चयन हो पाया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक शिवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि पीयर एजूकेटर के लिए सामग्री ब्लॉकों पर भेजी गई है जो जल्द ही वितरित करा दी जाएगी। साथिया का चयन नहीं हुआ है, वहां चयन कराया जाएगा।

नहीं मिला प्रशिक्षण :

- पीयर एजूकेटर जो चयनित हुए हैं। उनको अब तक प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। ऐसे में जब तक प्रशिक्षण दिया जाता है तब तक उनकी उम्र पूरी हो जाती है। गत दिनों सीएमओ कार्यालय में हुई स्वास्थ्य समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने इस बात पर जोर दिया था कि 16 वर्ष से कम उम्र वालों को ही पीयर एजूकेटर चुना जाए, लेकिन उस पर भी अमल नहीं हो पाया। पीयर एजूकेटर राजकुमार समेत अन्य लोगों का कहना है कि उन्हें प्रशिक्षण नहीं दिया गया और अब उनकी उम्र भी निकल रही है।

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