पहली बारिश भी न झेल पाया तटबंध, गांवों पर खतरा

चार करोड़ तीन लाख रुपये से बना था तटबंध ग्रामीणों में दहशत

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2020 10:44 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 06:05 AM (IST)
पहली बारिश भी न झेल पाया तटबंध, गांवों पर खतरा
पहली बारिश भी न झेल पाया तटबंध, गांवों पर खतरा

बलरामपुर :जिले में हर साल पहाड़ी नालों की बाढ़ से सैकड़ों गांव प्रभावित होते हैं, लेकिन जिम्मेदार समय रहते इसका उपाय करना मुनासिब नहीं समझते। बाढ़ खंड के कार्यक्षेत्र में पड़ने वाले पहाड़ी नाला खरझार के तट पर बना तटबंध मानसून की पहली बरसात भी नहीं झेल सका। चार दिन बरसात होने से खरझार नाले में उफान आ गया। लोहेपनिया गांव के पास स्थित खरझार तटबंध क्षतिग्रस्त हो गया है। जिससे दर्जनों गांवों पर खतरा मंडराने लगा है। जिले में बाढ़ खंड के अधीन 16 तटबंध हैं। जिनमें से पहाड़ी नाला खरझार के तट पर 4.03 करोड़ रुपये की लागत से गाइड बांध का निर्माण कराया गया था। अभी गाइड बांध पूरी तरह बनकर तैयार भी नहीं हुआ है। खरझार नाला उफना जाने से क्षेत्र के लोहेपनिया गांव के पास स्थित खरझार नाला पुल के पास स्थित गाइड बांध क्षतिग्रस्त हो गया। बांध पर बिछाए गए बोल्डर बरसात के चलते बैठ गए हैं। बांध में दरारें भी नजर आने लगी हैं। जिससे पहाड़ी नाले की बाढ़ का पानी क्षेत्र के साहेबनगर, रामगढ़ मैटहवा, शांतीनगर, विजयीडीह, लोहेपनिया, महादेव गोसाईं, लहेरी, सहबिनिया गांवों पर खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों की मानें तो बांध व एप्रोच पर प्रत्येक वर्ष प्रशासन के तरफ से मात्र मिट्टी डालकर कार्य पूरा कर लिया जाता है। क्षेत्रवासियों के तमाम शिकायत के बाद बाढ़ खंड के तरफ से गत वर्ष रामगढ़ मैटहवा गांव के निकट 55 लाख का बांध का कार्य कराया गया था। जो पहली बाढ़ में ही बह गया था।

जिम्मेदार के बोल :-अधिशासी अभियंता कौशल किशोर दिवाकर का कहना है कि खरझार तटबंध को दुरुस्त कराने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, जो कतिपय कारणों से स्वीकृत नहीं हो सका है। सहायक अभियंता व जेई को भेजकर जांच कराई जाएगी। बाढ़ से बचाव के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

chat bot
आपका साथी