'वोट उसी को जो दे सके सुरक्षा का भरोसा'

By Edited By: Publish:Wed, 23 Apr 2014 12:23 AM (IST) Updated:Wed, 23 Apr 2014 12:23 AM (IST)
'वोट उसी को जो दे सके सुरक्षा का भरोसा'

बलरामपुर : व्यापारी हितों की रक्षा व महिला सुरक्षा को प्राथमिकता बड़ा गंभीर विषय है। इसलिए इस बार उसी दल हो वोट दिया जाएगा जो इस बात का भरोसा दे सके कि उसके शासनकाल में असुरक्षा की भावना नहीं रहेगी। चुनावी तपिश के बीच नुक्कड़ चर्चाओं में अब मुद्दे न केवल उठते हैं बल्कि मौके पर मौजूद लोग अपने-अपने तर्को से उसे एकसूत्र में पिरोने का हरसंभव प्रयास भी करते हैं।

सीन एक- नगर का इंडस्ट्रीयल एरिया धर्मपुर। दोपहर लगभग 12 बजे। चाय पीने के लिए परिसर में बैठे व्यापारी मौका मिलते ही चुनावी चर्चा में मशगूल हो जाते हैं। प्रीतम सिंधी खाद्य विभाग के लाइसेंस शुल्क में बढ़ोत्तरी का बड़ा मुद्दा बताते हैं। कहते हैं कि सरकार की इस गलत नीति से छोटे-छोटे व्यापारी व उद्योग धंधे वालों की परेशानी बढ़ी है। हमें इस पर विचार करने की जरूरत है। छेदीलाल जायसवाल खाद्य सुरक्षा कानून की सराहना तो करते हैं, लेकिन व्यापारी हितों की रक्षा का मुकम्मल भरोसा न होने पर सवाल भी उठाते हैं। सुशील गोयल व विवेक अग्रवाल का मानना है कि व्यापारी समाज को विशेष प्राथमिकता रहती है। उनका कहना है कि एक तरह से व्यापारी ही आर्थिक विकास की रीढ़ होते हैं। राजपाल सिंधी व गंगा शर्मा भी बात व्यापारी हितों की आने पर चुप्पी साध जाते हैं। हालांकि वे कहते हैं कि उद्योग-धंधों का विकास तभी होगा जब सरकारें इसे प्राथमिकता में रखेंगी। इसलिए कुछ कहने से अच्छा है कि इस दिशा में सार्थक कार्य शुरू हो। व्यापारी राजेंद्र केसरवानी कहते हैं कि चुनाव महापर्व है। इसमें हर किसी को अपने मताधिकार का प्रयोग अनिवार्य रूप से करना चाहिए, लेकिन इतना जरूर हो कि हम इस पर जरूर विचार करें कि हम जिसे वोट दे रहे हैं वह हमारी जरूरतों को पूरा करने का माद्दा रखता है अथवा नहीं।

सीन दो- गौशाला रोड भगवतीगंज। समय दोपहर लगभग दो बजे। बिजली कटने के बाद सीरियल आदि देख रही महिलाएं घर के बाहर निकलकर बैठी हैं। अब महिलाएं एकत्र हों और कोई चर्चा न हो तो यह हैरत वाली बात ही होगी। कुछ देर शांत रहीं महिलाओं ने चुनावी राग छेड़ दिया। चर्चा में शामिल गीता महेश्वरी महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की वकालत करती हैं। वह कहती हैं पुरुष प्रधान इस समाज में महिलाओं को उनके अधिकार मिलना चाहिए। यह तभी संभव है जब सरकार सुरक्षा का मुकम्मल प्रबंध करे। सुनीता अग्रवाल घरेलू सामानों की मूल्यवृद्धि से नाराज थीं। उन्होंने कहा कि उनका तो साफ मत है कि इस बार वोट उसी को देंगे तो महंगाई पर काबू रख सके। रितु व सीमा का कहना है कि स्वच्छ छवि का उम्मीदवार ही चुनने की जरूरत है। इसमें भी उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए जो जनता के लिए सुलभ रहें। रेनू मिश्रा व ममता शर्मा का मानना है कि भयमुक्त समाज की स्थापना करने वालों को ही इस चुनाव में चुनने की जरूरत है। ऐसा होने से ही महिलाएं सुरक्षित रहेंगी और निर्भय होकर कहीं भी आ-जा सकेंगी। राधा का कहना था कि चुनाव का शोर सुबह अखबारों से और टीवी खोलते ही दिखाई पड़ जाता है। इसके बाद भी सिर्फ लोग वादा करते ही दिखते हैं। कौन अच्छा है यह तय ही नहीं हो पाता। इसलिए दलों के घोषणापत्रों को ध्यान में रखते हुए वोट करने की जरूरत है। मंजू का कहना है कि बात एकदम साफ है। हम महिलाएं उसी को वोट करना चाहती हैं जो हमारी सुरक्षा का ख्याल करे।

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