हवा में फरमान, अफसर नहीं दे रहे ध्यान
बलरामपुर : पॉलीथिन व थर्मोकोल से बने सामान को प्रतिबंधित किए जाने के बाद भी जिले में उसका असर
बलरामपुर : पॉलीथिन व थर्मोकोल से बने सामान को प्रतिबंधित किए जाने के बाद भी जिले में उसका असर नहीं दिख रहा है। ठेले से लेकर नामचीन दुकानों तक सभी धड़ल्ले से इसका प्रयोग कर रहे हैं। सड़क पर फैली पॉलीथिन को खाने से प्रतिमाह तीन से चार मवेशियों को जान गंवानी पड़ रही है। पॉलीथिन के दुष्प्रभावों व इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने लिए सरकार ने जुलाई में ही प्लास्टिक व थर्मोकोल से बने सामान के उपयोग पर रोक लगा दी है, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता आदेश को प्रभावी नहीं बनने दे रही है। प्लास्टिक से बने दोना-पत्तल बिक रहे हैं। पड़ोसी देश नेपाल से बेरोक टोक पॉलीबैग बाजारों में पहुंच रही है। आमजन भी अपनी सहूलियत के लिए पॉलीथिन का बेहिचक उपयोग करते हैं। प्रयोग के बाद उन्हें सफाई कर्मियों द्वारा एक स्थान पर एकत्र कर छोड़ दिया जाता है। जिसे सड़क पर घूमने वाले छुट्टा जानवर अपना आहार बना रहे हैं, जो उनके लिए मौत का कारण बन रही हैं, लेकिन कोई इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझता है। उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बद्री विशाल ने बताया कि अपने यहां पॉलीथिन से जान गंवाने वाले पशुओं की संख्या कम है। कभी कभार ही ऐसे केस सामने आते हैं।
सभी करें बहिष्कार तो बने बात
-अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ल का कहना है कि पॉलीथिन में सामान नहीं लेना चाहिए। सभी लोगों को घर से झोला लेकर बाजार खरीदारी के लिए आना चाहिए। इसके लिए सभी लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अभियान की समीक्षा की जाएगी।
चलाया जाएगा अभियान :
-उपजिलाधिकारी सदर एके गौड़ का कहना है कि पॉलीथिन व थर्माेकोल को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। विभागीय अधिकारियों के साथ अभियान चलाकर पॉलीथिन व थर्मोकोल का सामान बेचने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।