सूखे जैसे हालात, पानी बिन सूख रही फसल

By Edited By: Publish:Sat, 02 Aug 2014 10:21 AM (IST) Updated:Sat, 02 Aug 2014 10:21 AM (IST)
सूखे जैसे हालात, पानी बिन सूख रही फसल

बलरामपुर : जिले में बरसात न होने से स्थिति सूखे की ओर तेजी से बढ़ रही है। सावन का माह भी समाप्त होने को है। ऐसे में बरसात की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। गत वर्ष जून माह के पहले सप्ताह से तबाही की दास्तान लिखने वाली राप्ती नदी अभी तक खतरे के निशान को भी नहीं छू पाई है। गत वर्ष जून-जुलाई माह में 540.71 मिलीमीटर वर्षा हुई थी। जबकि इस वर्ष महज 305.67 मिमी हुई है जो औसत वर्षा 235.04 मिमी कम है।

इस वर्ष जून माह से ही घुमड़-घुमड़ कर काले बादल आए जरूर, लेकिन उनसे बरसात नहीं हुई। जून के मध्य में मानसून की दस्तक होने से एक बार लगा भी अब झमाझम हो रही बरसात से खेतों को पर्याप्त पानी मिल जाएगा। दो-तीन दिन अधिक बरसात हुई तो लोग संभावित बाढ़ से भी संशकित हो उठे, लेकिन जल्द ही मौसम ने करवट लिया और पानी बरसना बस नाम का रह गया। धान की रोपाई की तैयारी करने वाले किसानों को भी इससे तगड़ा झटका लगा। कई स्थानों पर ऐसे खेत भी दिखे जहां पानी न होने के बाद भी धान की रोपाई इस उम्मीद में की गई थी कि बरसात होने पर फसल हो जाएगी। इतना ही नहीं जहां धान रोपे गए हैं वहां पानी न मिलने से अब फसल सूखने लगी है। स्थिति यह हो गई कि पूरी बरसात तबाही मचाने वाली राप्ती जैसी नदी भी पानी को तरसती दिखी। एक दिन भी ऐसा नहीं आया जिसमें राप्ती का जलस्तर लाल निशान के करीब पहुंचा हो। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में बरसात की हालत कितनी खराब है।

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-और बढ़ेगा किसानों दर्द

सेखुईकला निवासी किसान चिंतामणि कहते हैं कि गन्ने की फसल का भुगतान न मिलने से खेती करने वाले पहले से ही कराह रहे हैं। अब सूखा पड़ने से धान से उम्मीद लगाए बैठे लोगों को और दर्द सहना पड़ेगा। रामनगर बरगदही के किसान

जिलेदार भी कहते हैं कि अब बरसात होने की कम ही उम्मीद है। इसका सबसे अधिक दर्द किसानों को सहना पड़ेगा।

गनेशपुर निवासी महेश मिश्र कहते हैं कि बरसात का आंकलन कर प्रशासन को जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर देना चाहिए। इमिलिया के पवन कुमार के माथे पर भी बरसात न होने का सिकन साफ झलकता है। वह भी प्रशासन से सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग करते हैं। हरैय्या निवासी किसान रघुनंदन कहते हैं कि बगैर बरसात खेतों में नमी नहीं हो पाती। इस क्रम में कितना भी पानी अन्य संसाधनों से भरिए वह दो घंटे में ही सूख जाता है। नगर बोझिया के श्रीराम भी बरसात न होने से आहत हैं। कहते हैं कि इससे गरीब तबके के किसानों की कमर ही टूट जाएगी।

बरसात कम होना फसलों की दृष्टिकोण से चिंताजनक है। जून व जुलाई माह में अपेक्षा के अनुरूप बरसात अधिक होती है। हालत अभी बेकाबू नहीं हैं। चालू माह में बरसात अच्छी होने से स्थिति में सुधर जाएगी।

-अमित कुमार चौबे

जिला कृषि अधिकारी

जुलाई माह में तहसीलवार हुई बरसात का विवरण (मिलीमीटर में)

दिनांक -बलरामपुर -उतरौला- तुलसीपुर

1 जुलाई- शून्य- 20.5 - शून्य

3 जुलाई- 10.6- शून्य- शून्य

6 जुलाई- 47.80-36.70-53.80

7 जुलाई- 9.80 - 60.30- 62

10 जुलाई- 27.60-39.50-79

15 जुलाई-12.60-शून्य- शून्य

26 जुलाई- 3 -2- शून्य

(कृषि विभाग के अनुसार पूरे माह औसत वर्षा : 236.51 मिमी)

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