कोरोना किट में मरीजों को नहीं दी जा रही 'आइवरमेक्टिन'

रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद मरीजों का नहीं पुरसाहाल दवा देने में कंजूसी कर रहा विभाग

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Apr 2021 11:16 PM (IST) Updated:Mon, 26 Apr 2021 11:16 PM (IST)
कोरोना किट में मरीजों को नहीं दी जा रही 'आइवरमेक्टिन'
कोरोना किट में मरीजों को नहीं दी जा रही 'आइवरमेक्टिन'

रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद मरीजों का नहीं पुरसाहाल, दवा देने में कंजूसी कर रहा विभाग

श्लोक मिश्र, बलरामपुर :

कोरोना संक्रमण से बचाव की कोशिशों को एक और झटका लगने लगा है। संयुक्त अस्पताल में भर्ती मरीजों को ठीक से उपचार न मिलने की शिकायतों के बाद अब घर पर ही रहकर संक्रमण से लड़ रहे आइसालेट मरीजों को पर्याप्त दवाएं नहीं मिल पा रही है। इनकी देखभाल करने वाली चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की टीम भी महज खानापूर्ति में जुटी हुई है। आलम यह है कि आरटी-पीसीआर जांच की आनलाइन रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद आक्सीजन की गति जानना भी मरीजों के लिए मुश्किल हो रहा है। रिपोर्ट आने के तीन-चार दिन तक स्वास्थ्य टीम मरीज का हाल जानना भी मुनासिब नहीं समझती। उधर विभागीय अधिकारी केस अधिक होने की दुहाई देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। दवाएं देने में भी कंजूसी :

-कोरोना महामारी के बीच फिलहाल पूरी दुनिया में इसको लेकर शोध किए जा रहे हैं। इन सबके बीच महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं ने कोरोना मरीजों के इलाज में सात दवाओं की सूची भेजी है। इसमें आइवरमेक्टिन 12 एमजी, अजिथ्रोमाइसिन 500, क्रोसिन 650, लिमसी 500 एमजी, जिकोनिया 500 व कैल्सीरोल सचेत दवाएं शामिल हैं। जिले के अस्पतालों से मरीजों को पैरासीटामाल, जिक, विटामिन सी तो दी जा रही हैं, लेकिन प्रमुख दवा आइवरमेक्टिन 12 एमजी मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। अस्पतालकर्मी इस पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। यह मामला है बानगी :

-उन्नाव जनपद निवासी एक शिक्षक नगर क्षेत्र में किराये पर मकान लेकर रहता है। तबीयत खराब होने पर उसने जिला मेमोरियल अस्पताल में आरटी-पीसीआर जांच कराई। दो दिन में आनलाइन पाजिटिव रिपोर्ट मिलने के बाद वह स्वास्थ्य विभाग की टीम का इंतजार करता रहा। कोई काल, दवा या फालोअप होता न देखकर वह मजबूरन उन्नाव चला गया। वहां पहुंचने के दो दिन बाद विभाग से किसी ने फोन करके पूछा कि दवा है आपके पास या नहीं। इसके बाद किसी ने हाल न जाना। जहां पर शिक्षक रहता था, उस कालोनी में टीम नहीं गई। 25 मीटर दायरे में रहने वालों का हाल जानने व सैनिटाइजेशन की जहमत नहीं उठाई गई। लापरवाही पर होगी कार्रवाई :

-हमारा सिस्टम व हम सही हैं। मामले अधिक हैं। यदि कहीं थोड़ी-बहुत चूक हो जा रही है, तो उसे सही किया जाएगा। मरीज को होम आइसोलेट होने की सलाह दी जाती है। फिर भी यदि उसकी तबीयत बिगड़ती है, तो वह नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर भर्ती हो सकता है। - डा. वीबी सिंह, सीएमओ

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