जीवन जीने की कला सिखाती हैं पुस्तकें

बलरामपुर : पुस्तकें हमारे जीवन का मार्ग दर्शन करती हैं। ज्ञान के साथ-साथ हमें जीवन जीने की कला भी सि

By Edited By: Publish:Sun, 04 Dec 2016 11:51 PM (IST) Updated:Sun, 04 Dec 2016 11:51 PM (IST)
जीवन जीने की कला सिखाती हैं पुस्तकें

बलरामपुर : पुस्तकें हमारे जीवन का मार्ग दर्शन करती हैं। ज्ञान के साथ-साथ हमें जीवन जीने की कला भी सिखाती हैं। शिक्षित व्यक्ति समाज के विकास में मददगार होता है। पुस्तकों के बिना सभ्य समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती। ये बातें जिला विद्यालय निरीक्षक राम सिंह रविवार को रामलीला मैदान में आयोजित पुस्तक मेला एवं सेमीनार के उद्घाटन अवसर पर कही। पुस्तक मेला का आयोजन शेखर शिक्षण एवं समाजोत्थान समिति द्वारा किया गया।

विशिष्ट अतिथि संस्कृति के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. माधवराज द्विवेदी ने कहा कि पुस्तकें ज्ञान का खजाना होती हैं। इसके बिना मानव का जीवन अधूरा होता है। कार्यक्रम अध्यक्ष कमलेश प्रताप सिंह बोले कि पुस्तकें एक से दूसरी पीढी तक ज्ञान बांटने का काम करती हैं। रामफेरन मिश्र, गंगाराम गोस्वामी, डॉ. अवधेश सिंह व हिमांशु धर द्विवेदी ने कार्यक्रम आयोजक समिति को बधाई का पात्र बताया। कहा कि इस तरह का कार्य करने वाली संस्थाएं बहुत कम है। कार्यक्रम का संचालन साधना श्रीवास्तव ने किया। समिति के प्रबंधक दिनेश पाल सिंह ने बताया कि शिक्षण संबंधी उद्देश्यों को पूरा करना ही संस्था का प्रमुख कार्य है। अर्पित सिंह, संजय, अनिल सिंह, विश्वनाथ पांडेय, हरीराम, जायसवाल, सुजीत श्रीवास्तव, राजेश कश्यप आदि मौजूद रहे। राम बहादुर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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