पटरी से उतरी ओडीएफ की गाड़ी

समीर तिवारी बलिया : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच जिले में खाक में मिलती नजर आ रही है। मह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Mar 2018 10:05 PM (IST) Updated:Sat, 10 Mar 2018 10:05 PM (IST)
पटरी से उतरी ओडीएफ की गाड़ी
पटरी से उतरी ओडीएफ की गाड़ी

समीर तिवारी

बलिया : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच जिले में खाक में मिलती नजर आ रही है। महत्वाकांक्षी खुले में शौचमुक्त अभियान यहां पूरी तरह फ्लाप साबित हुआ है। खुले में शौच से गांवों को मुक्ति दिलाने (ओडीएफ) की बात हवा हवाई होकर रह गई है। हालत इतनी दयनीय है कि कार्य की गति कछुए की चाल से भी धीमी है। तीन साल से अधिक समय बीतने के बाद भी नाम मात्र के शौचालय गांवों में बनाए जा सके हैं। इसके पीछे मुख्य वजह प्रशासनिक लापरवाही और जागरुकता की कमी है। जब से यह योजना शुरू हुई तब से कई बार भुगतान न होने आदि कारणों से इसमें अड़ंगा पड़ता गया। कई बार महीनों काम ठप भी रहा। वर्तमान में भी भुगतान, संसाधनों की कमी सहित अन्य कारणों के चलते योजना पटरी पर लौट नहीं पा रही है। ऐसे में अगले सात महीनों में लक्ष्य पूरा करना नामुमकिन ही है। वहीं जो गांव ओडीएफ घोषित कर दिए गए हैं वहां भी स्थिति गड़बड़ है। कई शौचालय दूसरे कामों में प्रयोग किए जा रहे हैं। कहीं उपले रखे जा रहे तो कहीं भूसा भरा पड़ा है। कहीं कहीं शौचालय अधूरे भी पड़े हैं। यह सब अभियान को मुंह चिढ़ा रहे हैं। छह माह में बने 23 शौचालय

आंकड़ों पर गौर करें तो इस अभियान की सुस्ती का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है। पिछले साल अगस्त माह तक 103 गांव ओडीएफ हुए थे। उसके छह महीने बाद यानी फरवरी माह तक 23 गांवों को ओडीएफ घोषित किया गया है। कुलमिलाकर 126 गांव अब तक ओडीएफ हुए हैं। क्या है प्रक्रिया

ओडीएफ अभियान के तहत गांव वालों को शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया जाता है। जो भी शौचालय बनवाता है उसके खाते में सरकार की ओर से धनराशि भेज दी जाती है। आधा काम कराने के बाद उसकी फोटो शासन को भेजी जाती है। फिर पहली किश्त के रूप में छह हजार रुपये मिलते हैं। पूरा काम होने पर दूसरी किश्त में भी छह हजार यानी कुल 12 हजार रुपये आवेदक को मिलते हैं। चैंपियन टीम--

अभियान के तहत पांच-पांच लोगों की टीमें अलग-अलग गांवों में भेजी जाती हैं। इसे चैंपियन टीम कहा जाता है। इनमें शामिल लोग सप्ताह में पांच दिन गांवों में रहते हैं। वहां लोगों को खुले में शौच से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हैं। सीटी बजाते हैं, टोकाटाकी करते हैं और अन्य तरीकों से गांववालों को जागरूक करने का प्रयास करते हैं। वर्जन---

जल्द ही रफ्तार पकड़ेगा अभियान

अभियान को धार देने के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है। प्रधानों को ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए विशेष रूप से कहा गया है। ग्राम पंचायतें अपने स्तर से जागरुकता अभियान चला रही हैं। विकास खंडों पर हर सोमवार को स्वच्छता कार्यक्रम शुरू किया गया है। भुगतान आदि की समस्या भी सुलझा ली गई है। जल्द ही अभियान रफ्तार पकड़ेगा।---अविनाश कुमार, डीपीआरओ, बलिया।

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