जेपी के गांव में अस्पताल की समस्या का फर्जी निस्तारण

शासन की ओर से मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायतों का निस्तारण अधिकारी फर्जी सूचना देकर भी कर रहे हैं। वहीं शासन स्तर पर उसी रिपोर्ट को आधार मान मामले को निस्तारित मान लिया जा रहा है लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं है। स्थलीय पड़ताल करें तो अधिकारियों की चालबाजी के कई किस्से सामने आते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 26 Feb 2020 04:52 PM (IST) Updated:Wed, 26 Feb 2020 04:52 PM (IST)
जेपी के गांव में अस्पताल की समस्या का फर्जी निस्तारण
जेपी के गांव में अस्पताल की समस्या का फर्जी निस्तारण

जागरण संवाददाता, बलिया : शासन की ओर से मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायतों का निस्तारण अधिकारी फर्जी सूचना देकर भी कर रहे हैं। वहीं शासन स्तर पर उसी रिपोर्ट को आधार मान मामले को निस्तारित मान लिया जा रहा है, लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं है। स्थलीय पड़ताल करें तो अधिकारियों की चालबाजी के कई किस्से सामने आते हैं। इसी तरह का एक मामला बैरिया विधान सभा के जयप्रकाशनगर सीएचसी का भी है।

यहां की प्रधान रूबी सिंह ने आइजीआरएस के तहत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं को पत्र देकर यह सीएचसी जय प्रकाशनगर पर पर्याप्त चिकित्सकों की तैनाती की मांग की थी। इसलिए कि वर्ष 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के द्वारा इस सीएचसी का बैरिया से उद्घाटन करने के बाद से यहां सिर्फ एक चिकित्सक की तैनाती है। वह नियमित अपनी सेवा भी देते हैं लेकिन सुविधाओं के नाम पर अस्पताल में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे कि इलाके के 50 हजार की आबादी को उचित उपचार की सुविधा मिल सके।

इनसेट-

प्रधान के पत्र पर विभाग ने यह दिया जवाब

प्रधान के पत्र पर विभागीय स्तर से जब जांच कर रिपार्ट मांगी गई तो मुख्य चिकित्साधिकारी की ओर से आइजीआरएस पर 9 अक्टूबर 2019 को संदर्भ संख्या 2019-20 के तहत यह रिपोर्ट दर्ज किया गया कि संबंधित अस्पताल में मानक के अनुरूप चिकित्सक व पैरामेडिकल कर्मचारी तैनात है। यह रिपोर्ट दर्ज होने के बाद विभाग ने मान लिया कि संबंधित अस्पताल में कोई कमी नहीं है, लेकिन अस्पताल की दशा यह है कि यहां मरीजों को कौन कहे, मरीज तक पानी के लिए भी तरसते हैं। यहां मात्र एक चिकित्सक पर 50 हजार की आबादी का लोड है।

शिकायतों पर गंभीर नहीं जनपदीय अधिकारी : प्रधान

ग्राम पंचायत कोड़रहा नौबरार, जय प्रकाशनगर की प्रधान रूबी सिंह ने बताया कि जनपद स्तर पर शिकायतों का कोई मतलब नहीं है। शासन स्तर पर की जा रही शिकायत पर विभागीय अधिकारी अपनी रिपोर्ट से शासन को भी गुमराह कर दे रहे हैं। ऐसे में शिकायत कहां किया जाए, समझ से परे है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण को मुख्यमंत्री के यहां भी मैं रखी हूं। लगभग 50 हजार की आबादी के बीच इस अस्पताल में कम से कम चार चिकित्सक तो होने ही चाहिए। इमरजेंसी की सुविधा भी मिलनी चाहिए, ताकि किसी भी हादसे के बाद मरीज का त्वरित उपचार किया जा सके।

चिकित्सकों की कमी से नहीं हो रही तैनाती : प्रभारी सीएमओ

प्रभारी सीएमओ डा. केडी प्रसाद ने बताया कि एक सीएचसी पर अधीक्षक के अलावा छह चिकित्सक, जिसमें सर्जन से लेकर डेंटल तक के चिकित्सक होने चाहिए। तीन या चार नर्स होनी चाहिए। फर्मासिस्ट, वार्ड ब्वाय सहित एक्सरे, पैथोलॉजी, इमरजेंसी आदि की सुविधा भी होनी चाहिए लेकिन जनपद में चिकित्सकों की कमी के कारण सर्वत्र की मांग पूरी नहीं की जा सकती। बताया कि उस अस्पताल में एक दो चिकित्सक, फर्मासिस्ट, दो वार्ड ब्वाय और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात हैं। आइजीआरएस पर गलत रिपोर्ट दर्ज करने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है।

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