बेहद संघर्ष का सफर तय कर ऊंचाई तक पहुंचे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव

विनोद कुमार यादव का जीवन संघर्ष से भरा रहा। वह अपने संघर्ष के बल पर इस शीर्ष पद पर पहुंचे है। उनके पिता शीतल प्रसाद यादव सीडीओ आफिस में बाबू के पद कार्यरत थे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Tue, 01 Jan 2019 12:04 PM (IST) Updated:Tue, 01 Jan 2019 02:48 PM (IST)
बेहद संघर्ष का सफर तय कर ऊंचाई तक पहुंचे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव
बेहद संघर्ष का सफर तय कर ऊंचाई तक पहुंचे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव

बलिया, जेएनएन। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन बने वीके यादव बचपन से ही काफी मेधावी छात्र रहे। विनोद कुमार यादव का जीवन संघर्ष से भरा रहा।

वह अपने संघर्ष के बल पर इस शीर्ष पद पर पहुंचे है। उनके पिता शीतल प्रसाद यादव सीडीओ आफिस में बाबू के पद कार्यरत थे। दो भाइयों में सबसे बड़े है। इनके छोटे भाई गोविंद यादव का देहांत हो चुका है। बचपन से ही पढऩे में काफी तेज थे। परिवार वालों ने भी साथ दिया।

बैरिया तहसील के सुकरौली गांव के रहने वाले इनके बड़े पिता बनवारी यादव 1974 में द्वाबा (वर्तमान में बैरिया विस क्षेत्र) के विधायक रहे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा प्राइमरी स्कूल से शुरू होकर गांव के नरहरि इंटर कालेज से हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद राजकीय इटर कालेज से उन्होंने 12 वीं की परीक्षा टॉप की। इलाहाबाद से इंजीनियरिंग के बाद अस्ट्रेलिया से से मास्टर ड्रिग्री प्राप्त की। वीके यादव 2012 में लखनऊ के डीआरएम भी रहे।

गृह जनपद में बलिया में वह प्लेटफार्म नंबर एक के विस्तार के साथ ही मालगोदाम के निर्माण के समय निरीक्षण के लिए आए थे। वह हमेशा अपने गांव से जुड़े रहे। पिछली बार चाचा की मौत पर श्राद्धकर्म में गांव आए थे। शहर के कोतवाली के सामने हरपुर मोहल्ले में इनका एक आवास भी है। इनका पुत्र अमेरिका में कार्यरत है जबकि बेटी विवाह के बाद अपनी ससुराल में है। वीके यादव परिवार के साथ गोरखपुर में रहते है। इनका विवाह कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री रहे बलराम सिंह यादव की बेटी अर्चना यादव के साथ हुआ है।  

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