बिहार का प्रस्ताव मान लिया होता तो बच जाता अठगांवा

By Edited By: Publish:Mon, 28 Jul 2014 07:19 PM (IST) Updated:Mon, 28 Jul 2014 07:19 PM (IST)
बिहार का प्रस्ताव मान लिया होता तो बच जाता अठगांवा

बैरिया (बलिया) : बिहार के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के प्रस्ताव पर यदि यूपी बाढ़ खंड के अधिकारियों ने अमल कर लिया होता तो आज क्षेत्र के इब्राहिमाबाद नौैबरार (अठगांवा) और सिताब दियारा की इतनी तबाही नहीं होती, यह इलाका कटान व बाढ़ दोनों से मुक्त हो गया होता।

सिताब दियारा (बिहार) और इब्राहिमाबाद (यूपी) दोनों इलाके को बाढ़ और कटान से बचाने के लिए बिहार ने योजना बनाई थी किंतु यूपी की ओर से कभी राज्यांश को लेकर मामला अटक गया, कभी किसी बिहार के प्रस्तावित पत्र का ध्यान देना भी उचित नहीं समझा। नतीजन यहां सैकड़ों एकड़ जमीन तो घाघरा में समाहित हुई ही। संपूर्ण इलाका बाढ़ के हवाले भी हमेशा के लिए हो गया। बिहार की ओर से प्रस्तावित वे दोनों योजनाएं इस प्रकार थी।

प्रस्ताव था जयप्रभा सुरक्षा बांध

सिताब दियारा और इब्राहिमाबाद नौबरार को बाढ़ व कटान से बचाने के लिए प्रक्रिया वर्ष 2001 से ही शुरू हो चुकी थी। तब यहां तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री डा.सीपी ठाकुर आए हुए थे। उन्होंने इस इलाके की भयावह स्थिति को देखने के बाद कुल 13 करोड़ की लागत से जयप्रभा सिताब दियारा सुरक्षा बांध का पैकेज प्रदान किया था। कुल 5200 मीटर लंबाई वाले इस बंधे के घेरे में दो हजार मीटर के अंदर इब्राहिमाबाद नौबरार (अठगांवा) और 3200 मीटर में सिताब दियारा पंचायत की आबादी सुरक्षित होनी थी। इस बांध का तीन बार सर्वे भी हुआ किन्तु अंतत: मामला यूपी बिहार राज्यांश को लेकर अटक गया। इस बांध में 75 फीसदी राशि केंद्र और 25 फीसदी राज्यों को देना था। आबादी, क्षेत्रफल और राज्यांश के पेंच में यह मामला वर्ष 2010 तक यूं ही फंसा रहा। कई बड़े नेता भी यह विवाद सुलझाने में लगे किंतु अन्तत: यह पूरा मामला ही खटाई में चला गया।

द्वितीय प्रस्ताव बैग रिवेटमेंट कटानरोधी कार्य

जयप्रभा सिताब दियारा सुरक्षा बांध मामला खत्म होने के बाद वर्ष 2011-12 में बिहार ने फिर जोरदार प्रयास किया। इस बार की नई योजना जीइओ बैग रिवेटमेंट कटानरोधी कार्य की थी। बिहार ने फिर यूपी के इब्राहिमाबाद नौबरार और सिताब दियारा बिहार सीमा की आबादी और जमीन को बचाने के लिए एक सार्थक प्रयास किया। वर्ष 2011-12 में बाढ़ खंड गोरखपुर के अधिकारियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश शासन को भी बिहार ने यह प्रस्ताव भेजा। इस योजना में भी 75 फीसद राशि केंद्र और 25 फीसद राज्यों को देय था। इस नए प्रस्ताव में यूपी के 20 हजार और बिहार सीमा की 35 हजार आबादी लाभावित होनी थी। इस प्रस्ताव का कोई जवाब नहीं आने पर बिहार ने अपना इरादा बदला और सिर्फ सिताब दियारा बिहार सीमा में चार किमी में 18 करोड़ की लागत से बैग रिवेटमेंट कटानरोधी कार्य करा दिया। उधर का यह प्रयास सफल हो गया, जमीन कटनी बंद हो गई किंतु यूपी का इब्राहिमाबाद नौबरार भयंकर तबाही से गुजरने लगा।

जब भी होता है कटान उग्र हो जाते हैं लोग

अब के समय में इब्राहिमाबाद नौबरार पंचायत में घाघरा का कटान जारी है। यहां कभी नदी शांत रहती है तो कभी उग्र रूप धारण कर लेती है। संबंधित विभाग में भी इस गांव को बचाने को लेकर काफी हलचल है। पिछले साल इस गांव के लोग उस दिन अपना धैर्य खो दिए, जब उनके गांव का निशानी बूढ़ा पीपल घाघरा में समाहित हो गया। लोग यह मान लिए हैं कि अब गांव नहीं बचेगा। उधर यहां का कटान तेज देख बाढ़ खंड के आला अधिकारी भी काफी सक्रिय हो गए किंतु यहां कार्य कराने की स्थिति ही कहां थी। सभी ने मिलजुल कर गांव वालों को यह भरोसा दिया था कि यहां पानी कम होते ही बिहार की तर्ज पर कार्य शुरू होगा। यहां के लिए 11 करोड़ का एक प्रस्ताव भी भेजने की बात बताई गई। बावजूद इसके यहां कटान जब कभी तेज होता है आम लोग उग्र रूप धारण कर लेते हैं।

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