बेलहा-बेहरौली तटबंध कटने का खतरा बढ़ा
बाढ़ व कटान पीड़ितों के लिए लाइफ लाइन है बेलहा-बेहरौली तटबंध रेनकट व रैटहोल से बदहाल
संसू, बौंडी(बहराइच) : लापरवाही के चलते महसी तहसील के 65 बाढ़ प्रभावित गांवों के बाशिदों की लाइफलाइन यानी बेलहा-बेहरौली तटबंध पर खतरा मंडरा रहा है। बौंडी क्षेत्र के छत्तरपुरवा, अटोडर तथा शुकुलपुरवा समेत कई जगह पर तटबंध में रेनकट व रैटहोल से बदहाल हो चुके है।
वर्ष 1956 में नानपारा के बलहा से जरवल के बेहरौली तक इस तटबंध का निर्माण हुआ। तटबंध की लंबाई 95.500 किमी है। तटबंध में 24 साइफन (पल्ले वाले पुल) हैं। तटबंध निर्माण के समय इसमें 24 पल्ले वाले पुल इसलिए लगाए गए ताकि बाढ़ का पानी समय पर छोड़ा जा सके । तटबंध निर्माण के समय घाघरा तटबंध से 15 किमी दूर थी। वर्ष 2000 से घाघरा नदी ने कटान का अंतहीन सिलसिला शुरू किया जो अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। देखते ही देखते सिलौटा, भौंरी, रामघाट, गोलागंज, जोगापुरवा, कायमपुर, कपरवल समेत दो दर्जन गांव अपने शिनाख्त को तरस गए । घाघरा की कटान में अपना घर द्वार गवा चुके करीब 1000 कटान पीड़ित इसी बेलहा बेहरौली तटबंध पर पनाह पाये हैं । इतना ही नहीं हर वर्ष महसी तहसील के 65 गांव बाढ़ त्रासदी झेलते हैं। इन बाढ़ प्रभावित गांवों के लोग इसी बेलहा बेहरौली तटबंध पर बाढ़ के समय अपना बसेरा डालते हैं। ऐसे में तटबंध की बदहाली से बाढ़ पीड़ित सकते में है।
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मांगे 6.5 करोड़, मिले 1.45 करोड़
सिचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता शोभित कुशवाहा ने बताया की स्पर-स्टड व तटबंध के मरम्मत का प्रपोजल बनाया गया था। शासन से इस कार्य के मद में छह करोड़ रुपये की मांग की गई थी लेकिन 60 लाख रुपये का आवंटन हुआ। तटबंध का मरम्मत कार्य कराया जा रहा है।