वर्षों से टूटा पुल नागरिकों के सब्र का ले रहा इम्तिहान
बहराइच : जिले में क्या हर समस्या का निदान आंदोलन के माध्यम से ही होता है? शायद इस सवाल का जवाब हां ह
बहराइच : जिले में क्या हर समस्या का निदान आंदोलन के माध्यम से ही होता है? शायद इस सवाल का जवाब हां है। ऐसा इस नाते कि यहां के जनप्रतिनिधियों को जनसमस्या दिखाई ही नहीं पड़ती है। या यूं कहें कि जिम्मेदार अमला परेशान हाल लोगों की ओर ध्यान नहीं देना चाहता है, या फिर यहां का प्रशासन नागरिकों के धैर्य की परीक्षा ले रहा है। इस बात की पुष्टि वर्षों से पड़ी जनसमस्याएं खुद ही कर रही हैं। यदि आप कैसरगंज क्षेत्र के भ्रमण पर निकल जाएं तो समस्याएं ही समस्याएं नजर आएंगी। कैसरगंज से कहरई मार्ग पर रसूलपुर घाट पर कई वर्षों से टूटा पड़ा पुल नागरिकों के सब्र का इम्तिहान ले रहा है। अगर इस पुल का निर्माण हो जाए तो कैसरगंज तहसील क्षेत्र का एक बड़ा भाग सीधे सड़क मार्ग से जुड़ जाएगा, लेकिन कोई भी पुल निर्माण कराने को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है। पुल निर्माण न होने से जान पर खेलकर इलाके के लोग नाव के सहारे कैसरगंज पहुंच रहे हैं। रसूलपुर, बसहिया, हैदर बसहिया, चंदीपुरा, सांथा, लखनीपुर, झल्ला, लोधनपुरवा आदि गांव के लोगों को कैसरगंज पहुंचने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां के लोगों ने एसडीएम से लेकर विधायक, सांसद व मुख्यमंत्री तक पुल निर्माण के लिए गुहार लगाई, लेकिन उनकी आवाज अनसुनी ही रह गई। जानकी, राम भरोसे, कोयली, बाबादीन, पप्पू, अली अहमद व शीतल बताते हैं कि सोतिया नाले पर बना पुल दो वर्ष पूर्व अचानक ही ढह गया था। तबसे आज तक इस पुल का निर्माण नहीं कराया गया। कुछ माह पूर्व अधिकारी पुल का नाप-जोख करके ले गए थे, मगर दोबारा नहीं आए। कहरई के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सुरेश यादव का कहना है कि टूटे पुल के निर्माण के लिए कोई गंभीर नहीं है। वैरी महेशपुर के मुहम्मद हसीब, ग्राम प्रधान विष्णु प्रताप श्रीवास्तव व सिराज अहमद कहते हैं कि पुल टूट जाने से यहां के लोगों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अर¨वद श्रीवास्तव, पुत्ती लाल व पंकज श्रीवास्तव बताते हैं कि पुल निर्माण न होने से क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है।