बिगड़ा मौसम, तेज हवाओं के साथ गिरी बौछारें

बहराइच : जिले में एक दिन पहले शुरू हुई बादलों की आवाजाही के बीच रविवार रात से मौसम बिगड़ गया। बिजली च

By Edited By: Publish:Tue, 31 Mar 2015 12:01 AM (IST) Updated:Tue, 31 Mar 2015 12:01 AM (IST)
बिगड़ा मौसम, तेज हवाओं के साथ गिरी बौछारें

बहराइच : जिले में एक दिन पहले शुरू हुई बादलों की आवाजाही के बीच रविवार रात से मौसम बिगड़ गया। बिजली चमकने के साथ तेज हवाएं चलीं। अनेक जगहों पर हल्की से मध्यम वर्षा हुई। बारिश व हवाओं से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है।

रविवार देर शाम से चले तेज हवाओं के झोंकों ने जनजीवन को खासा प्रभावित किया। बारिश व हवाओं का दौर रात भर चला। सोमवार सुबह भी आसमान पर बादल छाए रहे। दोपहर तक रुक-रुक कर बरसात होती रही। मौसम में हुए अचानक बदलाव से लोगों की रोजाना की ¨जदगी पर असर पड़ा। सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों को उठानी पड़ीं। कुछ बच्चे भीगते तो कुछ छाता लेकर अभिभावकों के साथ स्कूल पहुंचे। परिवहन सेवाओं पर भी बारिश ने असर डाला। खराब मौसम की आशंका से कम लोग घरों से बाहर निकले। बाजारों में भी आम दिनों की अपेक्षा लोगों की भीड़ कम रही। मौसम विभाग के अनुसार जिले में पांच मिमी.वर्षा रिकार्ड की गई। विशेश्वरगंज संवादसूत्र के अनुसार देर रात से बिगड़े मौसम ने किसानों को ¨चता में डाल दिया है। गेहूं, सरसों, मसूर आदि की फसलें पक कर तैयार खड़ी हैं। ऐसे में खराब मौसम से किसान वर्ग परेशान और हताशा में है। सभी ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि सही सलामत अनाज घरों तक पहुंच जाए।

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किसानों की उड़ी नींद

बहराइच : मौसम के बिगड़े मिजाज ने किसानों की नींद ही उड़ाकर रख दी है। पहले ही प्रकृति की मार झेल रहे किसानों को फसलों से लागत भी न निकलने का डर सता रहा है। खेतों में मसूर, सरसों की फसलें पक चुकी हैं। गेहूं भी कटने के कगार पर पहुंच चुका है। ऐसे में हुई बारिश से फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। विगत 12/13 मार्च को हुई बारिश से जो फसलें गिर गई थीं अब उनमें पानी भरने से दाने सड़ने की आशंका भी बन गई है। फसलों की कटाई भी पिछड़ जाएगी।

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क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

फसल अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉ.एमबी ¨सह ने बताया कि बारिश से पक चुकी फसलों व आम के बौरों को काफी नुकसान पहुंचा है। नमी युक्त माहौल में अरहर की फसल में फलीछेदक कीट के प्रकोप की संभावना बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि किसान इसकी रोकथाम के लिए क्यूनालफॉस सहित नीम युक्त रसायनों का छिड़काव कर सकते हैं।

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