तो कंप्यूटर का बटन दबाने वाले हाथ चलाएंगे फावड़ा

कोहराम मचा रहे कोरोना काल में रोजगार गंवाकर घर लौटे हजारों कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट है। इनके रोजगार की राह आसान करने को सरकारी तंत्र भी ढोल पीट रहा है कि जिसे कहीं काम नहीं मिल रहा तो हमें बताए ताकि मनरेगा में काम दिला सकें।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 09:26 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 09:26 PM (IST)
तो कंप्यूटर का बटन दबाने वाले हाथ चलाएंगे फावड़ा
तो कंप्यूटर का बटन दबाने वाले हाथ चलाएंगे फावड़ा

बागपत, जेएनएन। कोहराम मचा रहे कोरोना काल में रोजगार गंवाकर घर लौटे हजारों कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट है। इनके रोजगार की राह आसान करने को सरकारी तंत्र भी ढोल पीट रहा है कि जिसे कहीं काम नहीं मिल रहा तो हमें बताए ताकि मनरेगा में काम दिला सकें। वहीं लाख टके का सवाल है कि एसी रूम में कंप्यूटर का बटन दबाने वाले हाथ कैसे चिलचिलाती धूप में 44 डिग्री तापमान में मिट्टी खोदाई को फावड़ा चलाएंगे?

गत 25 मार्च के बाद बागपत में दूसरे राज्यों से तीन हजार कामगार घर लौटे हैं। इनमें अधिकांश हुनर के दम पर कंपनियों और सरकारी एवं अर्ध सरकारी दफ्तरों में आउट सोर्सिंग पर काम कर अच्छा खा कमा रहे थे। इन्हें अब मनरेगा में काम देने पर जोर है। इसका सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहा, क्योंकि दस दिन पहले बागपत की सभी 245 ग्राम पंचायतों में मनरेगा ठप थी। अब 113 ग्राम पंचायतों में 633 श्रमिक काम दिया गया। वहीं 246 प्रवासी कामगारों के जॉब कार्ड बनाए गए।

मगर समस्या उन 60 फीसद कामगारों की जिनके हाथ में हुनर है। यानी कोई कंप्यूटर मास्टर तो कोई दस्तकारी का जादूगर। मैकेनिक तो कोई हेयर सेलून में माहिर या दूसरे हुनर के खिलाड़ी है। आम जन ही नहीं बल्कि अफसरान भी सवाल उठा रहे हैं कि लॉकडाउन से पूर्व शहरों में अच्छा कमाकर आराम की जिदगी गुजार रहे उक्त प्रवासी कामगार क्या गर्मी में मिट्टी खोदाई कर पाएंगे? जिला परियोजना निदेशक विद्यानाथ शुक्ल ने कहा कि जो काम मांगेगा उसे काम देंगे।

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मजाक मत करिए जनाब..

नैथला के प्रधान दिनेश कुमार तथा अहमदशाहपुर पदड़ा के श्रद्धानंद त्यागी व सैडभर के प्रधान श्याम यादव बताते हैं कि घर लौटे कई कामगारों से मनरेगा में काम करने को कहा तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया कि प्रधानजी मजाक मत करिए..दो चार महीना उधर लेकर खाएंगे पर मनरेगा में काम नहीं करेंगे। प्रवासी कामगारों में सिसाना के रवि और नैथला के मनोज तथा दीपचंद ने कहा कि मनरेगा में मिट्टी खोदाई जैसा काम करना हमारे बूते से बाहर है।

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फैक्ट फाइल

-2.08 करोड़ है मनरेगा बजट

-32 हजार श्रमिक पहले से हैं।

-246 नये जॉबकार्ड जारी हुए।

-113 गांवों में काम चालू है।

-132 गांवों में मनरेगा ठप है।

-616 श्रमिक काम कर रहे हैं।

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इन्होंने कहा..

मनरेगा में किसी को जबरन काम नहीं दिया जाता। जिनकी इच्छा हो वह काम कर सकते हैं। डिमांड करने पर काम उपलब्ध कराएंगे।

-पीसी जायसवाल, सीडीओ।

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