बागपत में ठंडी हवा का डेरा, बारिश के आसार

जागरण संवाददाता, बागपत: ठंडी हवा ने जिले को घेर लिया है। इसी के चलते तापमान में गिरावट ह

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Feb 2019 10:23 PM (IST) Updated:Sun, 03 Feb 2019 10:23 PM (IST)
बागपत में ठंडी हवा का डेरा, बारिश के आसार
बागपत में ठंडी हवा का डेरा, बारिश के आसार

जागरण संवाददाता, बागपत: ठंडी हवा ने जिले को घेर लिया है। इसी के चलते तापमान में गिरावट हो रही है। उधर मौसम विशेषज्ञों ने आगामी दिनों में बारिश होने की संभावना जताई है।

जिले में रविवार को न्यूनतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस व अधिकतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं शनिवार को न्यूनतम तापमान नौ डिग्री सेल्सियस व अधिकतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस रहा था। तापमान में गिरावट होने से बाजारों में लोगों की संख्या कम है। नगर के प्रमुख चौराहों पर लोग अलाव पर हाथ सेंकते नजर आ रहे हैं। वहीं शाम होते ही लोग घरों में कैद हो जाते हैं। मौसम विशेषज्ञ एसपीसी डिग्री कालेज में भूगोल के प्रवक्ता डा. अर¨वद वर्मा ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी के कारण ठंडी हवा चल रही है। इसी कारण तापमान में गिरावट हुई है। आगामी कुछ दिनों में बारिश हो सकती है।

बच्चों का रखें ध्यान

सीएचसी प्रभारी डा. विभाग राजपूत ने बताया कि बढ़ी ठंड का प्रभाव बच्चों पर पड़ सकता है। बच्चों को ¨वटर डायरिया होने का डर अधिक रहता है। इस कारण बच्चों का ठंड से बचाव करें। ठंड से जुकाम, बुखार, खांसी होने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें। गुनगुना पानी पीएं। सुबह के समय रोज सैर करने जाने वाले लोग घर पर ही व्यायाम करें, तो बेहतर है। यदि सैर पर जाएं, तो सिर पर टोपी या मफलर जरूर डालें। गर्म कपड़ों का उपयोग करें।

पाले से प्रभावित हो रही हैं फसलें

संवाद सूत्र, दाहा : सर्द मौसम में पाला फसलों के लिए नुकसान बन जाता है। इससे मौसम में ठंड तो बढ़ ही जाती है साथ ही गन्ने व ज्वार की फसल की पत्तियां भी सूखने लगती हैं। इस समय चौगामा क्षेत्र में बारहमासी कही जाने वाली ज्वार की फसल भी खड़ी है। पाले से इसकी पत्तियां सूख रही हैं। इससे पशुओं के सामने चारे का संकट पैदा होने की आशंका है। ओमकार, महक ¨सह, सतेंद्र आदि ने बताया कि गन्ने की फसल पर खादर नमी वाले क्षेत्र में इसका अधिक असर दिखाई दे रहा है। ¨हडन व कृष्णा नदियों के किनारे जिन मिलाना, खपराना, सरौरा, बामनौली, गांगनौली, रहतना आदि गांवो में इसका अधिक असर बना हुआ है। फसलों की पत्तियां सूखने से पशुओं के लिए चारा संकट बनने के पूरे आसार दिखाई दे रहे है। इसके अलावा आलू की फसल में भी कहीं कहीं इसका असर दिखाई देने लगा है।

कृषि विज्ञान केंद्र खेकड़ा के प्रभारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि पाला से फसलों को बचाने का उपाय सिर्फ पानी ही है पाला पड़ने पर फसलों को पानी दिया जाना चाहिए, जिससे वह बेकार होने से बच जाए।

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