इस परिवार में हर कोई कला का गुरु

कला एक साधना है। इस साधना में एक शिक्षक का पूरा परिवार लीन है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Jul 2020 10:20 PM (IST) Updated:Thu, 30 Jul 2020 06:05 AM (IST)
इस परिवार में हर कोई कला का गुरु
इस परिवार में हर कोई कला का गुरु

बागपत, जेएनएन। कला एक साधना है। इस साधना में एक शिक्षक का पूरा परिवार लीन है। उनकी दो पुत्री समेत परिवार के कई अन्य सदस्य कला के ही शिक्षक हैं। 77 की उम्र में भी बुजुर्ग शिक्षक का कला के प्रति जज्बा व जुनून जारी है। अग्रवाल मंडी टटीरी के प्रेम प्रकाश प्रेमी कला के शिक्षक रहे। प्रेम प्रकाश की प्रेरणा से ही उनकी दो पुत्री कविता और रंजना दिल्ली में कला की शिक्षिका हैं। पुत्रवधू हेमाकांत, ससुराल में साला मनोज उर्फ बिट्टू, साले की पत्नी रुकमणी, साले का पुत्र अनिल भी कला के ही शिक्षक हैं। बड़ा पुत्र कमलकांत भी कला का शिक्षक था, लेकिन जून माह में उनका निधन हो गया।

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ऐसा रहा सफर

प्रेम प्रकाश प्रेमी ने 1964 में डीएवी पब्लिक स्कूल अग्रवाल मंडी टटीरी में बतौर शिक्षक ज्वाइन किया था। यहां 1972 तक कार्यरत रहे। इसके बाद दिल्ली आरके पुरम में सरकारी स्कूल में नियुक्त हो गए। 1997 में राजौरी गार्डन दिल्ली के सरकारी स्कूल में तैनात हुए। 1998 में आरके पुरम में प्रवक्ता नियुक्त हुए और यहीं से 2004 में सेवानिवृत्त हो गए। कला कौशल के कारण उन्हें दिल्ली में 2002 में राज्य शिक्षक अवार्ड से नवाजा गया। 2016 में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्था की हिदू शिक्षा समिति न्यास ने सम्मानित किया।

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दो संस्थाओं से जगाई शिक्षा की अलख

अग्रवाल मंडी टटीरी में 1999 में उन्होंने बंसत वैली नाम से कक्षा पांच तक का स्कूल संचालित कर सैकड़ों बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी। बच्चों को चित्रकारी भी सिखाई। इसका असर यह रहा स्कूल के बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों गोल्ड मेडल जीते। उन्होंने चौहल्दा गांव में बंसत वैली इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट नाम से संस्था संचालित कर रखी है। यहां विद्यार्थी कला के गुर सीखते हैं।

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चाकू और रंगों से कर देते है आकर्षक चित्रकारी

प्रेम प्रकाश प्रेमी चाकू और रंगों से विभिन्न कलाकृति बना देते हैं। उनके द्वारा मूर्ति कला, ग्राफिक आर्ट, वाणिज्य कला और पेंटिग सिखाई जाती है।

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