जिले में नहीं अनमोल नगीनों को रखने का इंतजाम

इसे बेसहारा बच्चों की बदकिस्मती कहें या कुछ और लेकिन 24 साल बाद भी बागपत में बाल सुधार गृह प्रशासन नहीं खोल पाया। ऐसे में बच्चों को दूसरे जिले में भेजना पड़ता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 07:10 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:10 PM (IST)
जिले में नहीं अनमोल नगीनों को रखने का इंतजाम
जिले में नहीं अनमोल नगीनों को रखने का इंतजाम

बागपत, जेएनएन: इसे बेसहारा बच्चों की बदकिस्मती कहें या कुछ और लेकिन 24 साल बाद भी बागपत में बाल गृह तथा किशोर गृह नहीं खुल पाया। जिले के बेसहारा बच्चे दूसरे जिलों के बाल गृह तथा किशोर गृह भेजे जाते हैं।

15 सितंबर 1997 में बागपत को जिले का दर्जा मिला था। मेरठ से कटकर अलग जिला बनने पर बागपत के बाशिदों की खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्हें उम्मीद थी कि जो सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर मेरठ में है, वैसा ही बागपत में विकसित होगा। काफी विकास हुआ भी, लेकिन बेसहारा बच्चों की सुविधा व सुरक्षा को लेकर बागपत में एक अदद बाल गृह एवं किशोर गृह की स्थापना नहीं कराई जा सकी।

बागपत की तरक्की में चार चांद लगाने का सपना दिखाने वाले जनप्रतिनिधि तथा अफसरान भी ढाई दशक में बेसहारा बच्चों और कानूनी पचड़ों में फंसे बच्चों के लिए बागपत में बाल गृह और संप्रेषण गृह की स्थापना तक नहीं करा सके। जनप्रतिनिधि बाल गृह स्थापना कराने को आखिर गंभीरता क्यों दिखाए, क्योंकि बच्चों से वोट तो मिलती नहीं है।

यही वजह है कि बागपत में बेसहारा बच्चों और कानूनी पचड़ों में फंसे बच्चों एवं किशोरों को मेरठ, रामपुर और कानपुर के बाल एवं किशोर गृहों तथा संप्रेषण गृह में भेजने को मजबूर होना पड़ता है। फिलहाल छह बेसहारा बालिका व एक बालक दूसरे जिलों के बाल गृहों में रखे गए हैं। कानूनी पचड़ों में फंसे 28 बालक और किशोर भी दूसरे जिलों के संप्रेषण गृहों में रखे गए हैं। थोड़ी राहत यह है कि कोरोना काल में अपने अभिभावक खो चुके बच्चों को बाल गृह तथा किशोर गृह भेजने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि सभी 68 बच्चे स्वजन तथा रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं।

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सरकार बच्चों के साथ

-कोरोना में अनाथ हुए बच्चों का भविष्य संवारने के लिए सरकार की बाल सेवा योजना शुरू करना शानदार पहल है। बागपत के 44 बच्चों को चार हजार रुपये महीना पेंशन मिलने लगी है। स्कूल जाने वाले सभी 40 बच्चों की पढ़ाई चल रही है। जो बच्चे कक्षा नौ में आएंगे उन्हें टेबलेट या लैपटाप भी पढ़ने के लिए मिलेंगे।

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इन्होंने कहा

-हम बागपत में बाल गृह की स्थापना कराने को अधिकारियों को लिखित में अनुरोध कर चुके हैं,। ताकि बच्चों को दूसरे जिलों के बाल गृहों में न भेजना पडे़।

-राजीव यादव-अध्यक्ष बाल कल्याण समिति।

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बाल गृह एवं किशोर गृह तथा संप्रेषण गृह नहीं होने से बेसहारा बच्चों का या कानूनी मामलों में फंसे बच्चों को दूसरे जिलों में भेजना पड़ता है।

-तूलिका शर्मा, जिला प्रोबेशन अधिकारी।

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