भूजल बचाने को अब गांवों में लगेंगी पानी पंचायत

बागपत : यमुना और ¨हडन दोआब की धरती बागपत को रेगिस्तान बनने से रोकने को अब गांवों में पानी पंचायत लगे

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Jul 2017 11:12 PM (IST) Updated:Fri, 14 Jul 2017 11:12 PM (IST)
भूजल बचाने को अब गांवों में लगेंगी पानी पंचायत
भूजल बचाने को अब गांवों में लगेंगी पानी पंचायत

बागपत : यमुना और ¨हडन दोआब की धरती बागपत को रेगिस्तान बनने से रोकने को अब गांवों में पानी पंचायत लगेंगी। इन पंचायतों की कमान महिलाओं के पास होगी ताकि पानी की बर्बादी रोकने को बूंद-बूंद की कीमत समझाने का काम घर-घर चले। पानी पंचायतों का गठन जल संकट से निपटने को बड़ा कदम है, क्योंकि लोगों के जागरूक होने पर जहां गिरते भूजल स्तर पर ब्रेक लगने में मदद मिलेगी वहीं नदियों को प्रदूषण मुक्त कर कैंसर जैसी बीमारियों से छुटकारा पाने की राह आसान बनेगी।

बागपत में जहां निरंतर भूजल स्तर गिर रहा है वहीं ¨हडन और यमुना प्रदूषित हो चुकी है। ¨हडन किनारे 53 गांवों का भूजल प्रदूषित होने से दर्जनों लोग कैंसर तथा अन्य असाध्य बीमारियों की चपेट में आकर तिल-तिल मरने को मजबूर हैं। वहीं तालाबों पर अवैध कब्जों के चलते जल संरक्षण का काम ध्वस्त है, जो थोड़े-बहुत तालाब बचे हैं तो उनका पानी इतना प्रदूषित है कि लोगों के लिए बड़ी आफत से कम नहीं है। इस भयावह स्थिति से निपटने को अब गांवों में यूपी डास्प यानी कृषि विविधिकरण परियोजना के तहत पानी पंचायतों का आयोजन हुआ करेगा।

पानी पंचायतों के लिए फिलहाल पाबला, सूजरा, डौला, फखरपुर, पिलाना और सूरजपुर महनवा गांवों का चयन किया गया है। पानी पंचायत में 20 सदस्य होंगे, जिनमें 70 फीसद महिलाओं का होना अनिवार्य है। महिलाओं की संख्या इसलिए ज्यादा रखी गई है, क्योंकि वे घरों के अंदर दस्तक देकर दूसरी महिलाओं को बूंद-बूंद पानी की अहमियत समझाकर घरों और गांवों के अंदर होने वाली पानी की बर्बादी रोकने की अहम भूमिका निभा सकें।

पानी पंचायत की पंच महिला तालाबों को अवैध कब्जों से मुक्त रखने तथा स्वच्छ बनाने का जिम्मा बेहतर ढंग से निभा सकतीं हैं। यूपी डास्प की समन्वयक रेखा रानी की मानें तो बागपत के चार गांवों में पानी पंचायतों का गठन हो चुका है। बाकी दो गांवों में जल्द ही पानी पंचायतों का गठन कराकर उनके सदस्यों को पानी तथा तालाब बचाने का प्रशिक्षण देंगी, ताकि वे समझ लें कि कैसे काम करना है। तालाबों के चारों तरफ पौधारोपण कराने और उनकी देखभाल का जिम्मा भी पानी पंचायत की महिला सदस्यों पर रहेगा। ¨हडन और यमुना का पानी प्रदूषित करने से रोकने के लिए भी पानी पंचायत की महिला सदस्य अभियान चलाने का काम करेंगी।

खराब में टॉप पर बागपत

बागपत : नियोजन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार भूजल की उपलब्धता पर सर्वाधिक खराब स्थिति बागपत की है। पहला स्थान सहारनपुर का है, जहां भूमिगत जल उपलब्धता माइनस 32.99 फीसद है। बागपत माइनस 16.61 फीसद के साथ दूसरे स्थान, मुजफ्फरनगर माइनस 10.29 फीसद से तीसरे स्थान, अमरोहा माइनस 6.50 फीसद से चौथे और मुरादाबाद माइनस 1.69 फीसद से 5वें स्थान पर है।

खतरे में बागपत

अतिदोहन से भूजल स्तर इतना गिर चुका है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड को साल 2012 में बागपत के सभी छह ब्लाक डार्क जोन घोषित करने पड़े। भूजल स्तर 25 से 35 मीटर गहरे तक गिर चुका है। दरअसल, बागपत की धरती में वार्षिक 49 हजार 628 हैक्टेयर मीटर पानी उपलब्ध है। इसमें से निकाल रहे हैं 48 हजार 748 हैक्टेयर मीटर पानी। भविष्य के लिए 326 हैक्टेयर मीटर पानी छोड रहे हैं।

चार करोड़ मंजूर

बागपत: लघु ¨सचाई विभाग के अवर अभियंता विपिन त्यागी ने बताया कि बागपत में 30 तालाबों की खुदाई कराने को 14.50 करोड़ रुपये का प्लान बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजा गया था। इसमें से शासन ने अब चार करोड़ रुपये मंजूर करने की सूचना दी है। पैसा मिलते ही तालाबों की खुदाई का काम शुरू करा देंगे। उनके यहां एक हैक्टेयर से ज्यादा एरिया के तालाबों की खुदाई कराने का ही प्रावधान है।

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