बुराइयों के 'अंधड़' में जलाया तालीम का 'दीया'

नवीन चिकारा, बड़ौत (बागपत) : गुरु गो¨वद दोऊ खड़े, काके लागूं पायं। बलिहारी गुरु आपने गो¨वद दियो बता

By Edited By: Publish:Fri, 07 Aug 2015 10:47 PM (IST) Updated:Fri, 07 Aug 2015 10:47 PM (IST)
बुराइयों के 'अंधड़' में जलाया तालीम का 'दीया'

नवीन चिकारा, बड़ौत (बागपत) : गुरु गो¨वद दोऊ खड़े, काके लागूं पायं।

बलिहारी गुरु आपने गो¨वद दियो बताय।

शिक्षक की भूमिका उस दीपक जैसी है, जो खुद जलता है लेकिन अपनी रोशनी हर तरफ बिखेरता है। एक से दूसरे दीप को प्रज्ज्वलित करने के खास गुण के कारण ही उसका दर्जा गो¨वद से ऊपर है। बेशक, शिक्षा के मंदिर 'दुकान' बन गये हैं और इनमें दी जाने वाली तालीम 'शाक-भाजी'। इसके बावजूद आज भी कुछ गुरुजनों के लिये विद्यालय मंदिर हैं तो शिष्यों की कामयाबी उनका प्रसाद। ऐसे ही शिक्षक हैं जगवीर शर्मा. । आलोकित पथ को तो सभी आलोकित करते हैं लेकिन उन्होंने रोशन करने के लिये ढ़ूंढी अंधेरी गलियां। कर्म के प्रति श्रद्धा, मन में विश्वास और लगन की कूची फिरी तो बंजर धरती में कोपलें फूट पड़ीं। तालीम के चिराग से उन्होंने न सिर्फ मजलूमियत को उजला किया बल्कि बुराइयों के बियावान में नेकनीयती का दीया भी जला दिया।

शिक्षक को समाज का सबसे सभ्य, जागरूक और विनयशील व्यक्ति का दर्जा प्राप्त है। समाज में ज्ञान का उजियारा फैलाना और अपने ओजस्वी उपदेशों से भटके हुए को राह दिखाने के कारण ही शिक्षक हर किसी के लिए आदरणीय होते हैं। मूल रूप से मेरठ के बाफर गांव निवासी और पिछले 12 वर्षों से बड़ौत में रह रहे जगवीर शर्मा नगर के सरस्वती शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य के पद पर तैनात हैं। अपनी कर्मभूमि में विद्यादान और उपदेशों से इतर कवि हृदय जगवीर शर्मा कलम की तलवार से समाज को सकारात्मक दिशा देने के लिए तत्पर हैं। खास बात यह कि उन्होंने अपना दायरा ज्ञान बांटने तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ भी आवाज बुलंद की।

निर्धन बच्चों के जीवन में भर रहे शिक्षा का रंग

निर्धन परिवार के बच्चों के लिए शिक्षा का इंतजाम करने का उनका तरीका बड़ा अनोखा है। अभिभावक-संपर्क के माध्यम से पहले वह“ ऐसे बच्चों को चिन्हित करते हैं, जो धनाभाव के कारण विद्यालय नहीं जा पाते। फिर उन्हें विद्यालय में प्रवेश दिलाते हैं। जगवीर शर्मा समाज के मौअज्जिज लोगों को प्रेरित कर निर्धन परिवार के बच्चों की फीस का इंतजाम करते है। वह अपने घर “र भी बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं।

भ्रष्टाचार के आगे नहीं टेक घुटने

जगवीर शर्मा ने टीसी पर काउंटर साइन के लिए शिक्षा विभाग के कर्मचारी द्वारा वर्षों से की जा रही अवैध वसूली का विरोध किया। मामले में लिप्त लिपिक को बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने पेश कर बेनकाब किया।

शिक्षा बचाओ आंदोलन में बने सक्रिय सदस्य

पाठ्य पुस्तकों में भ्रामक तथ्य प्रस्तुत किए जाने के विरोध में जगवीर शर्मा 2014 में शिक्षा बचाओ आंदोलन से जुड़े और स्थानीय स्तर पर उनका पुरजोर विरोध किया। जगवीर शर्मा अपनी कविताओं के माध्यम से भी समाज की कुरीतियों को निर्मूल करने में जुटे हैं।

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