शिक्षकों की छोड़िए, कर्मचारी भी बच्चों को नहीं भेजते प्राइमरी स्कूल

पिछले दिनों शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों, अधिकारियों को नसीहत दी थी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 Sep 2018 11:53 PM (IST) Updated:Sun, 09 Sep 2018 11:53 PM (IST)
शिक्षकों की छोड़िए, कर्मचारी भी बच्चों को नहीं भेजते प्राइमरी स्कूल
शिक्षकों की छोड़िए, कर्मचारी भी बच्चों को नहीं भेजते प्राइमरी स्कूल

बिसौली : पिछले दिनों शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों, अधिकारियों को नसीहत दी थी कि अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं, लेकिन यहां शिक्षकों की बात तो छोड़िए, सरकारी कर्मचारियों के बच्चे प्राइमरी स्कूलों में नहीं पढ़ते हैं। इसके साथ ही नगर के दो उच्च प्राथमिक विद्यालयों में चार सौ बच्चों में से मात्र दस सरकारी कर्मचारियों के बच्चे पढ़ते हैं। ऐसे हालात में अधिकारियों के बच्चों का सरकारी स्कूलों में पढ़ने की बात करना तो बेमानी होगी। यहां

जब सरकारी स्कूलों की हकीकत देखी और परखी तो नगर के प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले 536 बच्चों में से भी बच्चा शिक्षक का नहीं है। इतना ही नहीं इस स्कूल में सरकारी कर्मचारी का भी एक भी बच्चा नहीं पढ़ता। अब नगर के दो उच्च प्राथमिक विद्यालयों की बात की जाए तो यहां पर भी किसी भी शिक्षक का बच्चा नहीं पढ़ता है। हां, इन दोनों स्कूलों में लगभग दस बच्चे सरकारी कर्मचारियों के जरूर पढ़ते हैं।

सरकारी स्कूलों में योग्य शिक्षक, एमडीएम, डेस, बैग, जूता मोजा आदि भी सरकार देती है, लेकिन फिर भी संपन्न लोगों का इस ओर कोई झुकाव नहीं है। शिक्षकों की योग्यता की बात की जाए तो सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की योग्यता प्राइवेट शिक्षकों से बेहतर है। ऐसे में आम जन के अंदर अभी भी सरकारी स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था को लेकर विश्वास पैदा नहीं हुआ है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को ही अपनी शिक्षण पद्धति पर भरोसा नहीं है, इसीलिए उनका एक भी बच्चा इन स्कूलों में नहीं पढ़ता है। वर्जन..

- जिस दिन डीएम और दरबान के बच्चे एक की स्कूल में पढ़ने लगेंगे उस दिन सरकारी स्कूलों की व्यवस्था सुधर जाएगी। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी आज भी आम जन के मन में सरकारी स्कूलों के प्रति विश्वास पैदा नहीं हुआ है। जरूरत है तो सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन करें।

- एपी ¨सह, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय, बिसौली। वर्जन..

यदि आज मेरे बच्चे छोटे होते निश्चित ही अपने स्कूल में ही पढ़ाता। शिक्षक को अपने बच्चे अपने स्कूल में ही पढ़ाने चाहिए, जिससे आम जन में सरकारी स्कूलों के प्रति विश्वास पैदा हो।

- कुंवरसेन, राष्टपति पुरस्कृत। वर्जन..

शिक्षक अपने ही स्कूल में अपने बच्चे को पढ़ाए, इस संबंध में सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। ऐसा होते ही आम जन में सरकारी स्कूलों के प्रति विश्वास पैदा हो जाएगा।

- महेंद्र मिश्र, खंड शिक्षाधिकारी, बिसौली।

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