संस्कारशाला-3 :: जितनी जरूरत हो गिलास में उतना ही लें पानी
जल ही जीवन ही यह बात हमें बचपन से सिखाई जाती रही है हम इसका अनुभव भी करते आ रहे हैं। इसके बावजूद लगातार हो रही जल की बर्बादी की वजह से भू-जलस्तर गिरता जा रहा है। खुद ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर दूसरे वर्ष घर पर लगे हैंडपंप व समर्सिबल को और ज्यादा गहरा कराना पड़ता है। एक घूंट पानी की जरूरत होने पर पूरा गिलास पानी लिया जाता है और थोड़ा पीकर बाकी फेंक दिया जाता है। जो सही नहीं है।
फोटो 11 बीडीएन 18
जल ही जीवन ही यह बात हमें बचपन से सिखाई जाती रही है, हम इसका अनुभव भी करते आ रहे हैं। इसके बावजूद लगातार हो रही जल की बर्बादी की वजह से भू-जलस्तर गिरता जा रहा है। खुद ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर दूसरे वर्ष घर पर लगे हैंडपंप व समर्सिबल को और ज्यादा गहरा कराना पड़ता है। एक घूंट पानी की जरूरत होने पर पूरा गिलास पानी लिया जाता है और थोड़ा पीकर बाकी फेंक दिया जाता है। जो सही नहीं है।
जीवन के शुरुआत से ही पानी इतना महत्वपूर्ण है कि नगरों को नदियों के पास ही स्थापित किया गया है। जल के बिना जीना असंभव माना जाता है। जल ही जीवन है कि लाइनें हमें उपयोगिता समझाती हैं। समुद्र से पानी वाष्पित होता है और वायु को जलवाष्प के रूप में जोड़ता है बादल में परिवर्तित हो जाता है। बारिश से फिर यह पानी जमीन पर आता है, इसी समय व्यक्ति के जागरूकता की आवश्यकता होती है। जहां पानी जल को यूं ही बर्बाद करने की बजाय उसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। सरकारें लोगों का इस ओर ध्यान आकर्षित करती हैं और घर व कार्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाने को प्रेरित किया जाता है। सभी को चाहिए की जल संरक्षण की मुहिम चलाकर जलस्तर बढ़ाने में सहयोग करें। अगर हम अभी नहीं चेते थे आने वाली पीढ़ी को गंभीर जल संकट से जूझना पड़ेगा। हम सभी की जिम्मेदारी है कि जल संचयन की मुहिम का हिस्सा बनकर पानी को संरक्षित करें।
- अल्पना कुमार, प्रधानाचार्य, राजकीय कन्या इंटर कॉलेज, बदायूं