भूमिहीन किसानों के नाम पहुंच रहीं गन्ने की पर्चियां, जीपीएस सर्वे पर सवाल

जिले में किसान गन्ने की तौल कराने के लिए काफी परेशान हैं। सेंटरों पर कई दिनों तक उन्हें लाइन में लगना पड़ता है तो तमाम किसानों के पास कैलेंडर के आधार पर पर्ची संबंधी मैसेज उनके मोबाइल पर नहीं पहुंच रहे। मगर कई भूमिहीन किसान ऐसे हैं जिनके पास एक बीघा भी गन्ना नहीं है उनके पास पर्चियों का मैसेज पहुंच रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 12:24 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 12:24 AM (IST)
भूमिहीन किसानों के नाम पहुंच रहीं गन्ने की पर्चियां, जीपीएस सर्वे पर सवाल
भूमिहीन किसानों के नाम पहुंच रहीं गन्ने की पर्चियां, जीपीएस सर्वे पर सवाल

जेएनएन, सिलहरी, बदायूं : जिले में किसान गन्ने की तौल कराने के लिए काफी परेशान हैं। सेंटरों पर कई दिनों तक उन्हें लाइन में लगना पड़ता है तो तमाम किसानों के पास कैलेंडर के आधार पर पर्ची संबंधी मैसेज उनके मोबाइल पर नहीं पहुंच रहे। मगर, कई भूमिहीन किसान ऐसे हैं जिनके पास एक बीघा भी गन्ना नहीं है उनके पास पर्चियों का मैसेज पहुंच रहा है। इससे जीपीएस सर्वे पर भी सवाल उठने लगे हैं। अपात्र लोगों को गन्ना किसान बनाने वाले प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए किसानों का कहना है कि जीपीएस सर्वे पर भी माफिया ही हावी रहे। किसान की बजाय अपात्रों के पास पर्ची पहुंच रही हैं। उन पर्ची के सहारे माफिया औने-पौने दाम में किसानों का गन्ना खरीदकर सरकारी रेट का लाभ खुद उठा रहे हैं।

प्रशासन की ओर से हर साल गन्ना माफिया और बिचौलियों से किसानों को बचाने का दावा किया जाता है। प्रशासन हर बार कहता है कि गन्ने का सर्वे पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है और समय पर किसानों का गन्ना चीनी मिलों तक पहुंचेगा। किसान भी हर साल प्रशासनिक वादा मान लेता है, मगर समय आते ही किसानों पर माफिया हावी हो जाते हैं। इससे जीपीएस सर्वे की सभी तैयारियां धरी रह जाती हैं। सर्वे भी उसी आधार पर होता है जिस आधार पर माफिया चाहते हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो वास्तविक किसान हैं उनके मोबाइल पर पर्ची के संदेश नहीं पहुंच रहे हैं और तमाम भूमिहीन किसानों के नाम से गन्ने की तौल की जा रही है। इससे प्रशासनिक अमले की पूरी तैयारियों पर ही सवाल उठ रहे हैं।

किसानों की बात

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-हमारे पास पर्ची से संबंधित कोई मैसेज नहीं आया है, जबकि हमारे यहां तमाम लोग ऐसे हैं जिनके पास एक बीघा जमीन भी नहीं है और उनके पास मैसेज आ रहे हैं। इससे यह कहना ज्यादा नहीं होगा कि जीपीएस सर्वे पर भी माफिया हावी हो गए।

- पहलवान सक्सेना, बाबट

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-हर साल उम्मीद रहती है कि किसान को उसकी फसल का सही मूल्य मिलेगा, मगर समय आते ही माफिया और बिचौलिया गन्ना सेंटरों से लेकर चीनी मिल तक हावी हो जाते हैं। इससे किसान अपने आपको ठगा हुआ महसूस करता है।

- जोगेंद्र सिंह, भगवतीपुर फोटो 29 बीडीएन- 27

- हमारे यहां तमाम किसान पर्ची के लिए परेशान घूम रहे हैं। वह रोजाना सुबह से शाम तक अपना मोबाइल देखते रहते हैं कि उनके पास गन्ने की पर्चियां आएं, लेकिन ऐसा नहीं होता। जबकि तमाम लोग ऐसे हैं जिनके पास जमीन भी नहीं है और गन्ने की पर्चियों के मैसेज पहुंच रहे हैं।

- नवनीत पटेल, गुलड़िया

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-गन्ना किसान अपनी फसल माफिया और बिचौलियों को बेचने के लिए मजबूर हैं। इसके बाद भी उनकी सुनने वाला कोई अधिकारी नहीं है। प्रशासन हर साल दावा करता है कि गन्ना किसानों को सरकारी मूल्य का लाभ दिलाया जाएगा, मगर ऐसा नहीं होता है।

- योगेंद्र पटेल

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वर्जन ::

पांच साल पहले का डाटा है जो पोर्टल पर फीड हुआ है। कभी-कभी परिवार के ही सदस्य एक-दूसरे का नंबर फीड करा देते हैं जिसके पास जमीन नहीं होती ऐसे मोबाइल नंबरों पर वास्तविक किसान के मैसेज पहुंचते हैं। इसके अलावा मोबाइल का इनबॉक्स फुल होने पर भी यह समस्या आती है कि किसान के पास मैसेज नहीं पहुंचता। इसलिए मोबाइल का इनबॉक्स खाली करते रहें। किसी को कोई समस्या है तो वह कार्यालय में आए तुरंत समाधान किया जाएगा।

- रामकिशन, जिला गन्ना अधिकारी

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