जागरूकता तो बढ़ी, खल रही संसाधनों की कमी

बदायूं : स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत गांव-गांव शौचालय निर्माण का अभियान शुरू हो चुका है। जा

By Edited By: Publish:Thu, 29 Sep 2016 11:47 PM (IST) Updated:Thu, 29 Sep 2016 11:47 PM (IST)
जागरूकता तो बढ़ी, खल रही संसाधनों की कमी

बदायूं : स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत गांव-गांव शौचालय निर्माण का अभियान शुरू हो चुका है। जागरूक ग्रामीण खुद आगे बढ़कर निजी खर्च पर शौचालयों का निर्माण कराने लगे हैं। गरीब परिवारों आर्थिक तंगी के कारण अभियान को अपेक्षित गति नहीं मिल पा रही है। सरकारी अनुदान तो मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन जरूरत के मुताबिक धन नहीं मिल पा रहा है। हां, 22 गांवों को खुले में शौच के कलंक से मुक्त कराया जा चुका है। दर्जनों की संख्या में गांव ओडीएफ के कगार पर पहुंच गए हैं। इन गांवों में तीन चौथाई परिवारों ने खुले में शौच जाना बंद कर दिया है।

घरों में शौचालयों का निर्माण कराने के लिए अनुदान तो वर्षों से दिया जा रहा है। गांवों में हजारों की संख्या में शौचालयों का निर्माण भी कराया गया, लेकिन गांवों में पहले बनवाए गए अधिकांश शौचालय बंद हो चुके हैं। इसलिए अब लाभार्थी परिवारों को शौचालय निर्माण में शामिल किया जा रहा है। खुले में शौच के दुष्परिणाम बताकर लोगों को खुद शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। परिणाम यह निकल रहा है कि जो घर में शौचालय बनवा रहे हैं, उसकी देखभाल भी कर रहे हैं और उपयोग भी करने लगे हैं। हालांकि अभियान की शुरूआत जिस रफ्तार से हुई थी, उसके अनुरूप प्रगति नहीं हो पा रही है। 1038 ग्राम पंचायतों में से अभी तक सिर्फ 22 गांवों को ही खुले में शौच से मुक्ति मिल सकी है। केंद्र सरकार, प्रदेश सरकार और जिला स्तर पर जिस तरह प्रयास चल रहे हैं, उसके अनुरूप गांवों को ओडीएफ घोषित नहीं कराया जा सका है। दो अक्टूबर तक 100 से अधिक गांवों को ओडीएफ कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन अभी तक महज 22 गांवों में ही सफलता मिली है। समय पर अपेक्षित लक्ष्य पूर्ण हो पाने के आसार नहीं दिख रहे हैं।

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ऐसे ओडीएफ कराए गए गांव

अब गांवों में किसी को शौचालय बनवाने के लिए दबाव नहीं दिया जा रहा है। ओडीएफ की टीमें उन्हें खुले में शौच का दुष्परिणाम समझा रही हैं। गांव के बाहर ले जाकर उन्हें प्रयोग करके दिखाया जा रहा है कि किस तरह बीमारियां फैल रही हैं। शौच करने के बाद उसे मिट्टी से ढकने की सलाह दी जा रही है। सुबह-शाम की टोका-टाकी से प्रेरित होकर लोग खुद घर में शौचालयों का निर्माण करा रहे हैं। गरीब परिवारों को अनुदान देकर शौचालय बनवा दिया जा रहा है।

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गुटबंदी बन रही बाधक

ओडीएफ की टीमें गांवों में प्रयास तो कर रही हैं, लेकिन कई गांवों में दो तिहाई परिवारों में शौचालय बन जाने के बाद भी गुटबंदी के कारण उन्हें ओडीएफ घोषित नहीं कराया जा सका है। प्रधान विरोधी गुट रोड़ा अटका रहा है। टीम उन्हें भी प्रेरित कर रही है कि यह जनहित का मुद्दा है, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है।

जागरण के अभियान का दिख रहा असर

गांवों में दैनिक जागरण के समाचारीय अभियान का असर साफ दिख रहा है। ओडीएफ की टीमों को भी जागरण के अभियान से मदद मिल रही है। आम चर्चा होने लगी है कि यह जागरण का अभियान है। महिलाओं के आत्मसम्मान और संक्रामक बीमारियों को खत्म कराने के लिए चलाए जा रहे इस अभियान में जागरण सबसे आगे बढ़कर अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। इसकी हर जगह सराहना भी हो रही है।

नमामि गंगे योजना से भी मिला बल

गंगा किनारे के गांवों में शत प्रतिशत घरों में शौचालयों का निर्माण कराने में नमामि गंगे योजना से मदद मिल रही है। पिछले महीने दिल्ली से आई विशेषज्ञों की टीम ने गंगा के तटवर्ती गांवों के प्रधानों, रोजगार सेवकों, जागरूक ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया था। उसका असर यह हुआ है कि ग्रामीण खुद अपने गांव को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए अभियान चला रहे हैं।

हर गांव को खुले में शौच से मुक्त कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। अभियान तो अधिकांश गांवों में शुरू हो चुका है। बनवाए जा रहे शौचालयों की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जा रहा है ताकि ज्यादा दिन तक लोगों को सहूलियत मिले। प्रशासनिक अधिकारी भी ग्रामीणों को प्रेरित कर रहे हैं और गरीबों को अनुदान दिलाकर शौचालय बनवाए जा रहे हैं। जल्द ही जिले की तस्वीर बदली हुई दिखाई देगी।

- पवन कुमार, जिलाधिकारी।

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