संगीत व शास्त्रीय नृत्य के साथ शुरू हुआ चौथे दिन का आयोजन

जागरण संवाददाता आजमगढ़ शहर के वेस्ली इंटर कालेज परिसर में हुनर संस्थान द्वारा आयोजित रंग महोत्सव के चौथी निशा की शुरुआत गीत संगीत और शास्त्रीय नृत्य के साथ हुई। चौथे दिन का पूरा आयोजन स्वर्गीय घनश्याम दास अग्रवाल को समर्पित रहा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Dec 2019 07:43 PM (IST) Updated:Mon, 30 Dec 2019 06:01 AM (IST)
संगीत व शास्त्रीय नृत्य के साथ शुरू हुआ चौथे दिन का आयोजन
संगीत व शास्त्रीय नृत्य के साथ शुरू हुआ चौथे दिन का आयोजन

-रंग महोत्सव :::::::::::

-गीत, संगीत और शास्त्रीय नृत्य के साथ शुरू हुई महोत्सव की चौथी निशा

-नाटक म्यूजियम ऑफ स्पीशीज इन डेंजर में नारी जीवन के हर पहलू का चित्रण

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : शहर के वेस्ली इंटर कालेज परिसर में हुनर संस्थान द्वारा आयोजित रंग महोत्सव के चौथी निशा की शुरुआत गीत, संगीत और शास्त्रीय नृत्य के साथ हुई। चौथे दिन का पूरा आयोजन स्वर्गीय घनश्याम दास अग्रवाल को समर्पित रहा।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत उत्कल संगीत समाज की परिणीता महापात्रा के गायन से हुआ। तत्पश्चात जागरूक सेवा संस्थान बलिया की स्नेहा साक्षी सिंह, जयपुर डांस एकेडमी मिर्जापुर के प्रद्युम्न सिंह, दीपानीता ग्रुप की स्मृति कश्यप, वाराणसी के संदीप मौर्य, अमन सिंह तथा किग यूनाइटेड के आकाश गुप्ता ने क्रमश: एकल लोक नृत्य, शास्त्रीय नृत्य व मॉडर्न डांस प्रस्तुत किया।

नाटकों के क्रम में मुद्गगल पुरी नाटक केंद्र मुंगेर, बिहार की टीम ने कादर खान लिखित व मोहम्मद जिलानी द्वारा निर्देशित नाटक 'अगर यही रफ्तार रही तो' का मंचन किया गया। इसमें बढ़ रही जनसंख्या पर कटाक्ष करते हुए दर्शाया गया कि अगर इसे रोका नहीं गया तो वह दिन दूर नहीं जिस दिन रोटी भी तस्वीरों में नजर आएगी और देखकर पेट भरने का एहसास करेंगे। नाटक में मोहम्मद जिलानी ने जुम्मन, बिलाल अहमद ने कल्लू, आफताब जिलानी ने चिमन सेठ, संगीता राजनी ने गणपति, विनोद कुमार ने सरकार, संगीता राज ने साधारण महिला, निशा रानी ने साधारण लड़की का अभिनय किया।

पथ जमशेदपुर की टीम ने मोहम्मद निजाम के निर्देशन में 'म्यूजियम ऑफ स्पीशीज इन डेंजर' का मंचन किया। इस नाटक में सदा से पूज्य मानी जाने वाली नारी की जीवन स्थिति के धरातल पर विपरीत दिखती है। पुरुषों की जननी ही पुरुषों की आश्रिता बन जाती है। स्त्री का चरित्र प्रमाण पत्र लोग बनाने लगते हैं। औरत को किसी भी उम्र में निकल जा मेरे घर से जैसे ताने सुनने को मजबूर होना पड़ता है। दंगों में इज्जत तार-तार की जाती है। ..लेकिन नाटक नारी में निराशा के घने कोहरे के बीच उम्मीद भी जगाता है कि तमाम तरह की धाराओं के बावजूद औरतें म्यूजियम की मूर्तियां बनने की साजिश से अपनी जिजीविषा से नई उपलब्धियों की दास्तान लिख रही हैं।

नाटक में प्रियंका वर्मा, शैलेंद्र कुमार, आकांक्षा गुप्ता, खुर्शीद आलम, प्रिया राय, अभिषेक कुमार, रुपेश कुमार ने अभिनय किया। इस अवसर पर डा. पीयूष सिंह यादव, अजेंद्र राय, डा डीपी राय, राजेंद्र प्रसाद यादव, रमाकांत वर्मा, नीरज अग्रवाल, मनीष रतन अग्रवाल, परितोष रुंगटा, मनोज बरनवाल, चुनमुन उपस्थित थे। संचालन सुनील दत्त विश्वकर्मा ने किया।

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